हारी दिल अपना सखी, कान्हा तो चितचोर ।
सुनो बात प्रिय राधिका, मुझको अपना जान ।।
जब से देखा नैन भर, अर्पित तबसे प्राण ।
जपकर उसके नाम को, होती है नव भोर ।।
मीरा दीवानी कहे, छलिया अब नहि आय ।
लाज शर्म हारी सखी, अरि जग दिया बनाय ।।
दीवानी मीरा हुई, जबसे देखा श्याम ।
घड़ी घड़ी जपने लगी, राधे राधे नाम ।।
कान्हा कान्हा सब कहें, कान्हा तो चित चोर
दिल मे उसके राधिका,जगह जगह यह शोर ।।
हुनर तुम्हारा सादगी,नैना तीक्ष्ण कटार ।
देखा जबसे आपको,हुआ तभी से प्यार ।।
शब्द प्यार में अल्प है, गहरे लेना भाव।
प्रेम मेरा स्वीकार हो, दिल पर करो न घाव
नजरों से दूर हो, भेजा है पैगाम
साजन राह निहारती, गोरी सुबह शाम
राह निहारें गोरङी,लेकर साजन नाम
कब आओगें पीवजी,हुई सुबह से शाम
बैरी मन लागे नहीं,पिया बसे परदेश
जिवङो तरसे दिन रेन, नयनन जोए बाट
दर्पण देख गोरङी,फिर फिर कर सिंगार
रूठ न जावे पीवजी,सोचें यह हर बार
पल पल राह निहारती,घङी घङी बैचैन।
साजन तेरी याद में,बरसे नित ही नैन।
हुनर तुम्हारा सादगी, नैना तीक्ष्ण कटार ।
देखा जबसे आपको, हुआ तभी से प्यार ।।
दिल चाहे इक आपको, मन क्यों उड़ता जाय ।
देह हुई है बाबरी, जगत दिया बिसराय ।।
अन धन सब अर्जित रहे ,मिले न एक पल चैन ।
त्राहि त्राहि पुकार रहे , मन मानस बैचैन ।
सजन बिन सिंगार झूठे, हिवड़े री पूकार
दिन महीने बरष छूटे ,नैन करे तक़रार।
राम तुम्हारा सच कहे ,कण कण में है राम ।
सच की रहा चल रहे ,सफल करे सब काम।।
मन मेरे कान्हा बसे , तन में बसे राम ।
चैन ना हीं बिन कान्हा, मिले राम आराम ।।
राम नाम स्मरण करे , सफल बने सब काम ।
दू :ख दर्द हरण करे , जन मानस के राम ।।
राम नाम मृदु रस भरा,राम हृदय सुख सार ।
वर्णन कब किससे हुआ,यह राम रमा संसार ।।
- अनीता सैनी