रब से माँगू यही दुआ,मिले ख़ुशियों का जहां ,
न हो आँख में आँसू, हो न कभी मेरे दिल से ज़ुदा।
फूल-सी कोमल पारस-सी पाक,
यह वजूद रहा उसकी साख।
तारों की झिलमिलाती रोशनी,
चाँद-सी चमक रही वह ,
धड़कन सीने में दिल, धड़कन रही वह ।
मेरी चाहत मेरा मक़ाम रही वह ,
झाँकती हूँ आईने में परछाई रही वह ।
मासूम चेहरा , नादानी का पहरा,
दिल बहुत साफ़ , ज़ख़्म बहुत गहरा।
मुहब्बत बहुत है किनारा करना पड़ा ,
डगर कठिन है जीना सिखाना पड़ा ।
- अनीता सैनी
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