"ज़िंदगी "
चली जा रही ज़िंदगी वह ,
हवाओं से भी तेज़,
ठहरी न एक पल ,
ठहरी न एक पल ,
होश भी गुमराह हुए,
गुरुर-सूरुर का पहन चोला ,
गुरुर-सूरुर का पहन चोला ,
मगरुर हुई जा रही है।
ज़िंदगी है वह,
ज़िंदगी है वह,
तन्हा चली जा रही है |
तुम नहीं थे साथ में,
तुम नहीं थे साथ में,
लिये अश्क जा रही।
लोटे हो तुम देखो!
लोटे हो तुम देखो!
आलम न पूछो ,
खिलखिलाती आ रही वह ।।
#अनीता सैनी
#अनीता सैनी
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