दोहे
विश्वास ज्योति प्यार की,उजियारा चहुँ ओर |
दामन थामा जी मन ने ,मिली प्रीत की डोर ||
प्रेम प्रीत में बावरी,लिखे मीरा ने पद |
अमर प्रेम मीरा अरु,मीरा प्रीत में मद ||
चाहत मेरी एक तुम,एक तुम्हीं अरमान |
रग-रग में तुम हो बसे,है तुम पर अभिमान ||
बात सुनो प्रिय राधिका, मुझको अपना जान |
जब से देखा नैन भर, अर्पित तब से प्राण ||
हारी दिल अपना सखी,कान्हा तो चितचोर
एक उसी का नाम जप, होती है नव भोर ।।
- अनीता सैनी
- अनीता सैनी
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