हवाओं ने लहराये गुमनाम मँसूबे,
हाथों ने फिर तेरा नाम सँवारा,
भूल चुकी इश्क़ का गलियारा,
धड़कनों ने फिर तेरा नाम पुकारा |
बेजान साँसें सुलग उठी,
मिला अरमानों को सहारा,
हाल -ए -दिल की सुनी दास्तां,
समय के तख़्त ने फिर पुकारा |
मोहब्बत का अंदेशा रहा हमें,
ख़ैरियत लिख देते अल्फ़ाज़ में,
क्यों बंदिशें लगा रखीं धड़कनों पर,
ख़ाली लिफ़ाफ़ा भेज देते याद में |
- अनीता सैनी
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