एक अरसा गुज़र गया तुम्हें मुस्कुराये हुए,
महफ़िल में ख़ामोशी की क्या थी वजह |
महफ़िल में ख़ामोशी की क्या थी वजह |
मायूसी का लिबास लपेट लिया बदन से ,
ख़ुमारी चढ़ी मन में सादगी की क्या थी वजह |
मुक़्क़दर में नहीं हम, बहलाकर ठुकरा दिया,
आज पहलू में बैठने की क्या थी वजह |
तुम माँझी मैं पतवार, ज़िंदगी थी नैया,
बीच मझधार में छोड़ चले क्या थी वजह |
दफ़्न कर दिया यादों के मंज़र को यूँ ही ताबूत में,
सिसक रहा दिल तरसती आँखों की क्या थी वजह |
-अनीता सैनी
ख़ुमारी चढ़ी मन में सादगी की क्या थी वजह |
मुक़्क़दर में नहीं हम, बहलाकर ठुकरा दिया,
आज पहलू में बैठने की क्या थी वजह |
तुम माँझी मैं पतवार, ज़िंदगी थी नैया,
बीच मझधार में छोड़ चले क्या थी वजह |
सिसक रहा दिल तरसती आँखों की क्या थी वजह |
-अनीता सैनी
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