ख़्वाबों की नगरी, ख़ुशियों की बौछार ,
जहाँ हो ऐसा, न हो ग़मों का किरदार |
आँगन की ख़ामोशी, चौखट की पुकार ,
ना -मुराद इश्क़ करवाता रहा इंतज़ार |
फ़ौला फ़ज़ा में प्यार , मौसम भी ख़ुशगवार,
ज़िंदगी में रही मायूसी, नसीब में नहीं तुम्हारा प्यार |
नील वियोग में फ़ज़ा , नीलाअंबर भी हारा ,
जहाँ हो ऐसा, न हो ग़मों का किरदार |
आँगन की ख़ामोशी, चौखट की पुकार ,
ना -मुराद इश्क़ करवाता रहा इंतज़ार |
ख़्वाहिशों की ताबीर में बसर हुआ हर पहर ,
आँखों में तैरते ख़्वाब झलकते दिल के पार |ज़िंदगी में रही मायूसी, नसीब में नहीं तुम्हारा प्यार |
नील वियोग में फ़ज़ा , नीलाअंबर भी हारा ,
ताक रही टहनियाँ, वादियों ने पुकारा |
-अनीता सैनी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें