बुधवार, दिसंबर 5

मीम की दौड़


                                           

मनु मन की एठी   निगाहें 
ह्रदय  में  उफ़न रहा दर्द ,
मीम की दौड़ में शामिल,
ह्रदय की असीम वासना !!

लहरों सी ओझल मंजिल, 
गंतव्य की ओर डगमगाते, 
न बढ़ने वाले क़दमों  की गति  !!

विचारों  की थाह में , 
गुमराह हुआ अपनत्व,   
कामयाबी की सीढ़ी से,
 कुचल रहा  ममत्व  !!

नजर आ रहे धुआँ में, 
मायूसी के काले धब्बे,
जहा कभी उजालों ने, 
अंधेरों  को  दी  पनाह   !!

क्षण भर खुशियों का ठहराव, 
वही पीङा का रुबाव ,
ठिठुर रहा ह्रदय में, 
तृष्णा का असीम भाव बना, 
मीम से मनु का गहरा लगाव  !!

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