गुरुवार, दिसंबर 6

कुछ तो कहेगें लोग.....


                              


समंदर की लहरों पर हमनें  भी  पैगाम लिखा, 
दर्द को छुपाया ,मोहब्बत को सरे आम लिखा !!

जंग  जिंदगी  की , क़त्ल   अरमानों   का   हुआ, 
सुर्खरु जनाजे में  नाम,दफ़न  प्यार का अफ़साना हुआ  !!


जिंदगी पर  तोहमत  कैसी , उम्र -ए -दराज़ मिले दिन चार ,
दो  में   बुनते  रहे  सपनें ,  दो  में  किया  इंतजार  !!

ज़माने   का  ये   हुनर,  अपनों    ने   आज़माया   है 
किसी  का  तीर,  किसी  की  कमान  से  चलाया  है  !!

हो  सितम की  इंतहा ,  रो   रही   जिंदगी , 
कहाँ   मिलेगा परवरदिगार , यही  कह रही बंदगी ? 

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