धरा आलिंगन में,
धरी सुनहरी साँझ,
धूसर रंगों में डूबी,
ग़ुरुर से माथा चूम |
शांत लय से रखती,
पद-चाप,
प्रीत में इतराती,
करती प्रेमालाप |
समीर शांत लय,
से टकराती,
प्रीत में बरसाती,
सुनहरी धूप |
मद्धिम लय में छिपी,
आकांक्षा,
दुल्हन-सा माधुर्य समेटे,
श्यामलता में सिमटी,
करती रंगों की बौछार |
बेचैनी हृदय में समेटे,
जला प्रीत का दीप,
ओढ़ी चुनरी यौवन की,
'पी' मिलन की आस |
- अनीता