स्नेह सहेज, कुमोद रुप धर ,
व्याकुल व्याधि,निर्दय त्रास ,
परोपकार धर मानव मस्तिष्क पर
अंचल विश्वास से प्रेम आमंत्रण दृश्य यही सब ओर |
दिशा दीप्त, किये दीपदान,
पूर्ण प्रकाश, रहा अनादि तम
सृष्टि सृजन शशिकिरण ,सुख-इंगित
वृक्ष लता में गूँथे प्रीत दृश्य यही सब ओर|
चिर सृष्टि, अचिर स्वप्न गूँथे हृदय में ,
प्रतिदिवसावसान वैभव जग आधार
कुटीर द्वार पर जीवन तरु पथ अश्रांत,
मधुर नूपुर, सुरभि-संसार महक रहा जग दृश्य यही सब ओर |
- अनीता सैनी
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आप का आदरणीय लोकेश जी
हटाएंसादर