नज़ाकत भरी निगाहों से
पिला दिया दर्द-ए-जाम,ज़िंदगी के मयख़ाने में,
ज़िक्र हुआ दिल की महफ़िल में,
रुख किया यादों के तहख़ाने का|
नाराज़ नहीं तुझसे ऐ ज़िंदगी,
उलझ गयी लम्हों के तहख़ने में ,
एक घूंट जाम-ए-जिंदगी,
मदहोश हो गये,ज़िंदगी के मयख़ाने में |
मोहब्बत की डगर तलाश रहा मन
हाथों में जाम-ए-ज़िंदगी ,
क्यों हुआ वो मोहब्बत पर फ़िदा ?
नसीब ही उस का बेवफ़ा रहा |
फिर जी उठी इसी बहाने से
तस्वीर उभर आयी याद-ए-माज़ी ज़िदगी के तहख़ाने में,
महक़ उठी फ़ज़ा में हिज्र की शाम
ज़ाम-ए-ज़िंदगी,यादों के मयख़ाने में |
-अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-01-2019) को "सेमल ने ऋतुराज बुलाया" (चर्चा अंक-3221) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंप्रणाम
सादर
बहुत सुंदर रचना 👌
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार सखी
जवाब देंहटाएंसादर
क्यों हुआ वो मोहब्बत पर फिदा ?
जवाब देंहटाएंनसीब ही उस का बेवफ़ा रहा |.....वाह!
आदरणीय विश्व मोहन जी आप का बहुत बहुत आभार उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब...... सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी -शुभ संध्या सखी
जवाब देंहटाएंआप को बहुत सा स्नेह
सादर
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी मीना जी -आप का सह्रदय आभार उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (29-07-2019) को "दिल की महफ़िल" (चर्चा अंक- 3411) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर