कोहरे में ठिठुरती ज़िंदगी , मिला अलाव का सहारा ,
कभी ठंड के साये में, कभी धूप ने पुकारा |
छिटका द्वेष का कोहरा, प्रीत का हुआ सवेरा,
खिली मुहब्बत की धूप,दर्द का मुस्कुराया चेहरा |
ज़िंदगी की गर्दिश ने, हर चेहरे का रुप निखारा,
किसी पर सजा दिये आँसू , किसी को प्रीत से निखारा |
उनकी मुहब्बत ने तरासा वजूद हमारा ,
वो तन्हाइयों में छोड़ गये, हम ने महफ़िल में पुकारा |
खिलखिलाती धूप, फूलों की ख़ुशबू , आसमां हमारा,
कोहरे ने समेटी ज़िंदगी, तड़पते दिल ने पुकारा |
- अनीता सैनी
Well versed poem
जवाब देंहटाएंThanks sir
हटाएंउनकी मोहब्बत ने तरासा वज़ूद हमारा ,
जवाब देंहटाएंवो तन्हाइयों में छोड़ गए, हम ने महफ़िल में पुकारा ,
बहुत खूब प्रिय अनिता जी -- मौसम के कोहरे के बहाने मन का कोहरा भी साफ हो गया | हार्दिक शुभकामना के साथ बधाई |
प्रिय सखी रेणु जी सस्नेह आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंसादर आभार
आप को बहुत सा स्नेह |
सादर
उनकी मोहब्बत ने तरासा वज़ूद हमारा ,
जवाब देंहटाएंवो तन्हाइयों में छोड़ गए, हम ने महफ़िल में पुकारा ,..बहुत ही सुन्दर रचना ।
आभार आप का आदरणीय
हटाएंसादर
खिलखिलाती धूप, फूलों की खुशबू , आसमां हमारा,
जवाब देंहटाएंकोहरे ने समेटी जिंदगी, तड़पते दिल ने पुकारा।
सुन्दर रचना । बहुत-बहुत बधाई आदरणीय अनीता जी।
आदरणीय पुरुषोत्तम जी सह्रदय आभार आप का
हटाएंउम्मीद है आप मार्गदर्शन करते रहेंगे
आभार
सादर
बहुत अच्छे.
जवाब देंहटाएंवाह.
सह्रदय आभार आदरणीय रोहिताश जी
हटाएंआधार
सादर
वाह बहुत सुंदर रचना 👌
जवाब देंहटाएंआभार सखी
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/01/106.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय राकेश जी - सह्रदय आभार आप का मित्र मंडली में मुझे स्थान देने हेतु |
हटाएंआभार
सादर
जिंदगी की गर्दिश ने, हर चहरे का रुप निखारा,
जवाब देंहटाएंकिसी पर सज़ा दिये आँसू , किसी को प्रीत से निखारा,
बहुत खूब।
जी आभार
हटाएंसादर