वक़्त की दरियादिली, यादों की आहट छोड़ गया
दम तोड़ती मुस्कुराहट, इंतज़ार के पन्ने छोड़ गया |
ज़हन में दफ़्न यादें,साँसों की गर्माहट छोड़ गया
कुछ दरीचे में दफ़न, कुछ बिस्तर की सलवटों में छोड़ गया |
पुकारती आँखें, कँगन की झँकार छोड़ गया
यादों की गठरी, बिस्तर के सिरहाने छोड़ गया
क़दमों के निशां, तड़पती परछाई छोड़ गया
अनगिनत यादें, आँगन की दहलीज़ पर छोड़ गया |
मुस्कुराती मोहब्बत, सिसकती यादें छोड़ गया
आँख का पानी, बीतें लम्हों की सौगत छोड़ गया |
ज़िंदगी की कहानी, कुछ लम्हों में समेट गया
यादों की परछाई, पलकों पर सजा गया |
उदास शाम, यादों भरा दामन छोड़ गया
उम्मीद की अँगुली, वक़्त के बोलते ज़ख़्म छोड़ गया |
- अनीता
मुस्कुराती मोहब्बत, सिसकती यादें छोड़ गया,
जवाब देंहटाएंआँख का पानी, बीतें लम्हों की सौगात छोड़ गया,
जिंदगी की कहानी, कुछ लम्हों में समेट गया ,
यादों की परछाई, धड़कनों की सलवटों में छोड़ गया ,
उदास शाम, यादों भरा दामन छोड़ गया ,
उम्मीद की अंगुली, वक़्त के बोलते जख़्म छोड़ गया |
बेहतरीन गजल लिखी है आपने । शब्द कम हैं तारीफ के लिए । अनन्त शुभकामनाएं आदरणीय अनीता जी।
बहुत - बहुत आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत खूब......... बेहतरीन रचना... आदरणीया।
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत बढ़िया!!!
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंमुस्कुराती मोहब्बत, सिसकती यादें छोड़ गया,
आँख का पानी, बीतें लम्हों की सौगात छोड़ गया,
बेहद लाजवाब....
वाह!!!
सस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-02-2019) को "चिराग़ों को जलाए रखना" (चर्चा अंक-3236) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सह्रदय आभार आदरणीय ....आशीर्वाद बनाये रखे |
जवाब देंहटाएंआभार
सादर |
वाह..., बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
४ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सह्रदय आभार आदरणीय श्वेता जी पांच लिंकों का आनंद पर स्थान देने के लिए |
हटाएंसादर
विरह, उदासी और मन के गहरे एहसास को बाखूबी सहज ही उतारा है इन शेरों में ...
जवाब देंहटाएंजाने वाले कितना कुछ छोड़ जाते हैं ...
आदरणीय दिगम्बर नस्वा जी आप को मेरी रचना पसंद आई, बहुत ख़ुशी हुई आप का साथ और आशीर्वाद बना रहे...
हटाएंआप का ह्रदय तल से आभार
सादर
वाह अनीता जी ! बहुत ही खूबसूरत रचना ! मन के हर तार को छेड़ती हुई एक अकथनीय उदासी की दहलीज पर खड़ा कर गयी है आपकी यह प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआदरणीया साधना जी बहुत अच्छा लगा आप ब्लॉग पर पधारे और रचना की सराहना की |
हटाएंतहे दिल से आभार आप का |
सादर
बहुत सुंदर..... लाजबाब.... गजल एक एक शब्द दिल को छूटा हुआ ,सादर स्नेह सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार कामिनी बहन आप की शुभकामनायें मिली ...ग़जल का लिखना सार्थक हुआ ...आप का साथ बना रहे |
हटाएंआप को बहुत सा स्नेह |
सादर
दम तोड़ती मुस्कुराहट, इंतज़ार के पन्नें छोड़ गया,
जवाब देंहटाएंमार्मिक फिर भी मन को शांत कर गया।
आदरणीय ब्लॉग पर आप का तहे दिल से स्वागत |
हटाएंरचना की सार्थकता के लिए सह्रदय आभार |
सादर