ज़िंदगी को परखती नज़र, नज़रिया बन गयी,
कहीं चढ़ी परवान, कहीं धूल में मिला गयी |
मुस्कुराती नज़रें, दिल में वफ़ा के फूल खिला गयी ,
झुक गयी गर वो नज़रें , बेरुख़ी का सबब बन गयी|
मासूम दिल की नज़रें, कर रही तग़ाफ़ुल का गिला,
मिली इस जहाँ की नज़रों से,तड़पकर ख़ाक हो गयी |
हुक़ुमत दिल पर वो राज -ए -उल्फ़त छिपाए रहे,
डगमगा गए क़दम ज़ब नज़रों से बात हो गयी |
नज़रों पर चढ़ा पैमाना दिल का,ज़िंदगी का रुख़ बदल गया,
पत्थर पर बरसा रहे मुहब्बत,इंसानियत मुहब्बत को तरस गयी|
कुछ स्वार्थ से क़दम मिलाती, कुछ अहम के परवान चढ़ गयी ,
कुछ संवार रही धरा को, कुछ बंजर बना गयी|
नज़र से उपजा नज़रिया, नज़रों को ग़ुमराह कर गया ,
एक नज़र तलाश रही अपने, एक अपनों को ठुकरा गयी|
- अनीता सैनी
Nice post
जवाब देंहटाएंThanks sir
हटाएंनज़रों पर चढ़ा पैमाना दिल का, जिंदगी का रुख़ बदल गया, पत्थर पर बरसा रहे महोब्बत, इंसानियत वफ़ा को तरस गई |
जवाब देंहटाएंवाह अति सुंदर।
सह्रदय आभार आदरणीय ज़फर जी
हटाएंसादर
नज़र से उपजा नजरिया, नज़रों को ग़ुमराह कर गया ,
जवाब देंहटाएंएक नज़र तलाश रही अपने, एक अपनों को ठुकरा गई |
अति सुंदर....... सखी
सस्नेह आभार आदरणीया कामिनी जी
हटाएंसादर
आदरणीय अमित जी - ह्रदय तल से आभार आप का उत्साहवर्धन के लिए |
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-02-2019) को "खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है" (चर्चा अंक-3244) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
बसन्त पंचमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत - बहुत आभार आदरणीय
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
११ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सह्रदय आभार आदरणीय श्वेता जी
हटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर नजर और नजरिया...
जवाब देंहटाएंलाजवाब..
सस्नेह आभार आदरणीय सुधा जी
हटाएंसादर
नज़रों के अलग अंदाज़ को बाखूबी लिखा है ... नज़र से देखने की जरूरत है इसे ...
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आदरणीय दिगम्बर जी |आप ने टिप्णी से रचना का गौरव बढ़ाया |
हटाएंआभार
सादर
वाह बहुत खूबसूरती से फलसफा ए नजर बयां किया आपने सखी सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंफेसबुक पर ज्वॉइन करें।
आदरणीया सखी कुसुम जी - बहुत अच्छा लगा, आप की उत्साहवर्धन टिप्णी से |
हटाएंआभार
सादर
वाह! बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंआदरणीया पम्मी जी - सह्रदय आभार सखी |
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत खूब......आदरणीया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
सह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत ही उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंआभार आप का
हटाएंसादर
बहुत ही उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंआभार आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत ही उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंआभार आप का
हटाएंसादर
बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजय जी सह्रदय आभार आप का |
हटाएंसादर