गुरुवार, फ़रवरी 14

पलाश बन खिल जाना


                             सजा  रही जीवन गुलदस्ता,  
                               तुम  प्रीत  फूल ले आना,   
                               मधुवन महके  जीवन का,  
                            तुम पलाश बन खिल जाना |


                              तपन  बहुत है जीवन  की, 
                             तुम  पतझड़  में  मुस्काना,  
                          आँधीं  का झौंका  का आये द्वार पर,  
                         तुम गुलमोहरी  मधुमास  सजाना|


                            गर  मायूसी  के  मोती  पहनूँ, 
                            तुम ख़ुशी  के तराने  गुनगुनाना,  
                            अकेलेपन   के   झौंकों   को, 
                             तुम  पलाश  बन  महकाना|


                             छूट  रहा  अनुराग  जीवन का,  
                               तुम  माया  बन  लौट  आना, 
                               सपना  बन   बिखरी  यादें, 
                             तुम पलाश  बन  खिल जाना|

                                          - अनीता सैनी 

38 टिप्‍पणियां:

  1. कोमल भावों से सजी अनुपम कृति ।

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  2. बहुत भावभीनी रचना 👌 👌 👌

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  3. बहुत खूब......
    बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना सखी

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  5. छूट रहा अनुराग जीवन का
    तुम माया बन लौट आना
    सपना बन बिखरी यादें
    तुम पलाश बन खिल जाना |
    बहुत मधुर भाव, प्रणाम।
    बहुत मधुर भाव

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    1. आदरणीय आप की उत्साहवर्धन टिप्णी मिली | बहुत ख़ुशी हुई |
      सादर

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  6. बहुत सुन्दर अनीता जी.
    आजकल तो हमारे सभी मित्रगण वसंत के स्वागत में पलक-पांवड़े बिछा रहे हैं. लगता है कि सब पर बिहारी, देव और पद्माकर की छाया पड़ गयी है.

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    1. बहुत- बहुत आभार आदरणीय आप का
      सुन्दर टिप्णी के लिए | आप की टिप्णी से लगता है कुछ अच्छा लिखा है | सर अहो भाग्य हमारे, बिहारी, देव और पद्माकर की छाया हम पर पड़े |सर हमक़दम पर साप्ताहिक विषय मिलता है इस बार का विषय" पलाश " था उसी को आधार मानकर रचना लिखी |आशीर्वाद बनाये रखे |
      सादर

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तूति, अनिता दी।

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  8. सज़ा रही जीवन गुलदस्ता
    तुम प्रीत फूल ले आना
    मधुवन महके जीवन का
    तुम पलाश बन खिल जाना |
    ....वाह...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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    1. सह्रदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन
      टिप्णी के लिए |
      सादर

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  9. वाह......अति सुंदर अभिव्यक्ति सखी ।

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  10. वाह अति सुन्दर ..मनमोहक और रूहानी लेखन 👍👍👍👍👍👍

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    1. सस्नेह आभार सखी उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए |
      सादर

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  11. बहुत ही सुंदर पलाश सी खूबसूरत....
    वाह!!!

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  12. वाह्ह्ह! लाजवाब रचना। शब्दों का सुन्दर चयन।

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  13. बहुत भावपूर्ण , प्रणाम।

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  14. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति सोमवार 18 फ़रवरी 2019 को प्रकाशनार्थ "पाँच लिंकों का आनन्द" ( https://halchalwith5links.blogspot.com ) के विशेष सोमवारीय आयोजन "हम-क़दम" के अट्ठावनवें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    अंक अवलोकनार्थ आप सादर आमंत्रित हैं।

    सधन्यवाद।

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    1. सह्रदय आभार आदरणीय मुझे हमक़दम में स्थान देने के लिए |
      सादर

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  15. सज़ा रही जीवन गुलदस्ता
    तुम प्रीत फूल ले आना
    मधुवन महके जीवन का
    तुम पलाश बन खिल जाना |
    सुरीली रचना, मन को छू कर गुजरती हुई। मादक रंग धोलती हुई। शुभकामनाएं व बधाई ।

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  16. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
    बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें

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    1. आप का ब्लॉग पर तहे दिल से स्वागत है आदरणीय |सह्रदय आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए |
      प्रणाम
      सादर |

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  17. प्रिय अनिता सुंदर गेयता पूर्ण आपकी ये रचना मुझे अंदर तक छु गयी | कितनी निश्छल मनुहार पिरोई गयी है रचना में | एक सुंदर सरस और सरल सा गीत जो जिओ मन को छू जाए | मेरा प्यार |

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  18. प्रिय अनिता नयी रचना जो मैंने FB पर पढ़ी थी इस समय मुझे ब्लॉग पर नहीं मिल पाई देखना जरुर |

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