रविवार, फ़रवरी 17

बोलता ताबूत



                                  
         अमन  का  पैगाम,
          लहू  से  लिख  दिया,        
         दिए  जो  ज़ख़्म, 
     सीने  में  छुपा   दिया |

       मोहब्बत  का  पैगाम,
पैगंबर  बना   दिया,
    दर्द में डूबा दिल,
एक बार फिर मुस्कुरा दिया |

   शहीद का दर्जा,
चोला  भगवा  का पहना  दिया,
खेल  गए वो  राजनीति,
मुझे ताबूत में  सुला  दिया | 


   घर  में  बैठे  आंतकी,
मुझे  पहरेदार  बना  दिया,
   हाथों   में  थमा   हथियार,
लाचार  बना  दिया  |
      
  दीन  हूँ या  हीन,
कटघरे  में  खड़ा  कर  दिया,
  खौल रहा   था  ख़ून,
मुझे  झेलम में डूबों  दिया |


     -अनीता सैनी 

32 टिप्‍पणियां:

  1. अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

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  2. बहुत ख़ूब! ताबूत में ख़ामोशी का समंदर समा गया है। लहर उठेगी अपना असर दिखायेगी ज़रूर।
    वीर जवानों को सादर श्रद्धाँजलि।

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    1. उसी इंतज़ार में कई आँखें तथरागई सर |कब और कब तक | आप क़लम के सिपाही हो सर | नेताओं को जागना होगा ,आम जन को जगाना हो |
      सादर

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  3. उनके लहू से लिखा यही पैगाम वतन के दुश्मनों का ताबूत बनेगी और आखिरी कील भी।

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  4. कितना कुछ सिमटा हुआ है इस एक खामोश ताबूत में ...
    नमन सिर्फ नमन है मेरा ...

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  5. खामोश लमहों के दरख़्त पर
    ज़िंदगी के खामोश पल

    कोटि कोटि नमन

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  6. घर में बैठे आंतकी, मुझे पहरेदार बना दिया,
    हाथों में थमा हथियार, लाचार बना दिया |

    बिलकुल सही सखी ,नमन है वीरो को और उन्हें जन्म देने वाली वीरांगनाओ को

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  7. बहुत खूब सखी ।आँखें नम हो गई।

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  8. खोकर वीर सपूतों को हर आँख नम हैं
    शत् शत् नमन 🙏

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  9. शहीद का दर्जा, चोला भगवा का पहना दिया,
    खेल गए वो राजनीति, मुझे ताबूत में सुला दिया |
    प्रिय सखी अनिता -- बोलते ताबूत के स्वर बड़े मर्मान्तक हैं जो ह्रदय को बींध निकल जाते हैं | शायद समय इन प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम हो | सस्नेह आभार इस हृदयस्पर्शी सृजन के लिए और उन वीर जवानों के कोटिश नमन और वन्दन | |

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    1. प्रिय सखी रेणु जी -बहुत सा स्नेह आप को |सही कहा आप ने कुछ प्रश्नों के उतर समय आने पर समय ही देता है |बहुत अच्छा लगा आप ब्लॉग पर पधारे |वीर अमर शहीदों को नमन |
      सादर

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  10. घर में बैठे आंतकी, मुझे पहरेदार बना दिया,
    हाथों में थमा हथियार, लाचार बना दिया
    सटीक अभिव्यक्ति....
    शहीदों को श्रद्धांजलि

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    1. सस्नेह आभार सखी |
      अमर शहीदों को नमन |
      सादर

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  11. घर में बैठे आंतकी, मुझे पहरेदार बना दिया,
    हाथों में थमा हथियार, लाचार बना दिया |
    .......नमन है वीरो को

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    उत्तर
    1. सह्रदय आभार आदरणीय |
      नमन वीरों को |
      सादर

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  12. नमन ,वीर शहीदों को ।

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  13. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-02-2020) को "प्रेम दिवस की बधाई हो" (चर्चा अंक-3611) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    आँचल पाण्डेय

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  14. गहराई से चिंतन किया है आपने परिस्थितियों पर सटीक रचना । सैनिकों का दर्द उकेरा है आपने वो देश पर सब कुर्बान करते हैं और बहरूपिए खेल खेलते रहते हैं ।
    सटीक और सत्य ।

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