गुम हुआ क़रार,
ज़माने की आबोहवा में,
मुहब्बत की गहराइयों में,
डूब गया ग़म सुकूं की तलाश में |
डूब गया ग़म सुकूं की तलाश में |
क़रार-ए-जंग छिड़ी,
मुहब्बत के बाज़ार में,
सुकूं-ए-तलब,
मिला ग़मों के दरबार में |
दिल ने जलाये चराग़
मुहब्बत के इंतज़ार में
सुकूं के दौर में क़ुर्बान हुआ प्यार
दिल-ए-क़रार के बाज़ार में |
सुकूं की चाहत में दौड़ा रही ज़िंदगी
फ़लक़-सितारों से फ़रियाद कर बैठी
मिले क़रार-ए-ज़िंदगी
यही ऐतबार कर बैठी |
- अनीता सैनी
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी सस्नेह आभार
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बहुत खूब अहसासों की कविता.... भावमय करते शब्दों का संगम बिल्कुल
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजय जी सह्रदय आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए |
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सुंदर प्रस्तुति सखी ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी दीपशिखा जी |
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सुन्दर प्रस्तुति अनीता जी ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीया साधना जी उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए | प्रणाम
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बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंजी स्नेह आभार आप को
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bahut khub
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए |प्रणाम स्वीकारे
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जवाब देंहटाएंफलक सितारों से फरियाद कर बैठा
इस तरह करारे जिन्दगी मिलेगी सोचता रह गया .......
बेहतरीन पंक्तियां
प्रिय सखी रितु जी सस्नेह आभार आप को |
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-02-2019) को "करना सही इलाज" (चर्चा अंक-3256) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सह्रदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए | आशीर्वाद बनाए रखे |प्रणाम
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भावपूर्ण अभिव्यक्ति, प्रणाम।
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
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सादर
क़रार -ए - जंग छिड़ी
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के बाज़ार में
सुकूं -ए - तलब मिला
ग़मों के दरबार में |
बहुत ही सुन्दर...
वाह!!!
प्रिय सखी सुधा जी आप को बहुत सा सस्नेह आभार |स्नेह
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ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/02/2019 की बुलेटिन, " भाखड़ा नांगल डैम" पर निबंध - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय ब्लॉग बुलेटिन में मुझे स्थान देने के लिए |
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बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
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सुकूं के दौर में शहीद हुआ प्यार
जवाब देंहटाएंदिल -ए -क़रार के बाज़ार में |
बहुत खूब सखी .....
सस्नेह आभार सखी
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वाह वाह बहुत उम्दा सखी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
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बहुत सुन्दर अनीता जी.
जवाब देंहटाएंप्यार में तो क़दम-क़दम पर धोखा है और क़दम-क़दम पर सब्र की अग्नि-परीक्षा है. जिगर मुरादाबादी कह गए हैं -
ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे,
इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है.
सह्रदय आभार आदरणीय शानदार टिप्णी के लिए | आशीर्वाद बनाए रखे |
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सादर