शब्द मधुर हों जनमानस के,
दिखा नियति ऐसा कोई
करुण हृदय से सींचे प्रीत
फूले-फले प्रीत की बेल |
प्रज्वलित हो दीप ज्ञान का,
साँझ की मधुर निश्छल छाया में,
ढुलकता मोह मनुज नयन से,
बंजर मानवता महके प्रीत में |
सुख-दुःख दोनों कर्म के साथी,
श्रम-विश्राम का उदीप्त यही खेल,
नीलाअंबर के निश्छल नयन से,
गूँथे तारिकाओं संग श्रम की बेल |
मानवता की मधुर गंध भीगे प्रीत से,
भीनी-भीनी महके,
अनुराग हृदय में नूपुर बन खनके,
रहे धरा पर तृप्त लालसा,
श्यामा शृष्टि महके |
- अनीता सैनी
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
अनीता जी, युद्धोन्माद के कोलाहल के मध्य अनुराग और मानवता का आपका सन्देश, ह्रदय को शांति तथा शीतलता प्रदान कर रहा है.
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय | मन बहुत विचलित है मानवता का यह हाल नहीं देखा जा रहा | कहने को शब्द नहीं. ...
हटाएंमन में तूफ़ान उठा है |
आभार
सादर
बहुत सुंदर प्रेरित करती पंक्तियां
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
मानवता की मधुर गंध भीगे प्रीत से
जवाब देंहटाएंभीनी भीनी महक़े
अनुराग ह्रदय में नूपुर बन खनके
रहे धरा पर तृप्त लालसा
श्यामा सृष्टि महके |
बहुत सुंदर रचना सखी
सस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 मार्च 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीया दी " पांच लिंकों का आनन्द में" मुझे स्थान देने के लिए |
हटाएंसादर
बहुत सुंदर सृजन आदरणीया
जवाब देंहटाएंसादर
सह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना अनिता जी।
जवाब देंहटाएंजी सह्रदय आभार
हटाएंसादर
बहुत सुंदर और समसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंवैसे हम भारतवासी सदैव शांतिप्रिय रहे हैं, फिर भी पाकिस्तान जैसा कुटिल और दुष्ट राष्ट्र,हमारे इस मानवीय गुण को हमारी कमजोरी समझ बैठता है और शेष कार्य हमारे राजनेता पूरा कर देते हैं।
प्रणाम।
सही कहा आप ने आदरणीय हित अहित के साथ चलते सभी चाणक्य बन गए | ये भी नहीं सोचते की क्या कह रहे है और क्या कर रहे है | आज भारत में भी राजनीति के अंकुर काफ़ी फलफूल रहे है | सह्रदय आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए |
हटाएंसादर
शुद्ध हिंदी की शानदार काविता के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन
हटाएंटिप्णी के लिए
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सह्रदय आभार आदरणीय चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए |
हटाएंसादर
अनुराग ह्रदय में नूपुर बन खनके ....
जवाब देंहटाएंअनीता जी, इस पंक्ति पर तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार बनता है !
अतः अन्यथा ना लें !
यह तो चोरी हो गई ! रपट लिखा दें भले !
आदरणीय नूपुरम जी आप का ब्लॉग पर तहे दिल से स्वागत है आप के शब्द हम अन्यथा क्यों लेगे, पाठक ही लेखक का मान है | ठिक कहा आप ने "अनुराग ह्रदय में नूपुर बन खनके "
हटाएंइस पंक्ति पर तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है |
यही भाव है मेरे, मेरे साथ जन मानस के कहीं खो गए | ये मेरा आग्रह है उन लोगो से ,हमें और श्रष्टि को वापस लौटा दे | ये मेरी रचना नहीं यह आह्वान है श्रष्टि का, वसे पाठक के अपने भाव होते है वो उसे किस रुप में ग्रहण करें |
बहुत अच्छा लगा आप ब्लॉग पधारे ,
साथ बनाये रखे |
सस्नेह आभार आप का 🙏🙏
सादर
सुख़ दुःख दोनों कर्म के साथी श्रम विश्राम का उदीप्त यही खेल
जवाब देंहटाएंनील अंबर के निश्छल नयनसंग गूंथें तारिकाओं संग श्रम की बेल |
वाह!!!
लाजवाब रचना.....
तहे दिल से आभार सखी आप का,
हटाएंआप का साथ बना रहे
सादर
अति उत्तम सखी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर भाव सखी ,लाजबाब रचना ,तुम्हारी रचनाये तो बेहतरीन होती हैं ,काफी दिनों से ब्लॉग पर आना नहीं हो पा रहा हैं मन तो यूँ देश के हालत से विचलित सा रहता है ,ढेर सारा स्नेह तुम्हे
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी बहन आप का उत्साह ही है जो क़दमों गति प्रदान करता है |आप को बहुत सा स्नेह |सखी G+ के बंद होने की संभावना से सभी fb पर आ गये | पर आप नज़र नहीं आई | आप का तहे दिल से आभार, साथ बना रहे |
हटाएंआभार
सादर