शशि संग अनुराग अनूठा ,
हृदय में वात्सल्य भाव उठा,
दहलीज़ का दामन डोल,
शशि-किरणों का किया शृंगार |
नाज़ुक हाथ,
थामें प्रीत के कोमल तार,
मुग्ध भाव से बिखेर रही,
मन भावों के तार |
प्रीत रुप शृंगार किया,
अधरों पर मीठी मुस्कान,
कल्पित कृति बोल उठी,
किया मन भावों का शृंगार |
नाम मानव दिया,
स्नेह, संवेदना प्रवाह किया,
करुणा रुप धर अँजुली में,
सोये हृदय पर किया सवार |
शशि का तेज़,
नीर नयन में तार दिया,
पवन की पीर दबा हृदय,
प्राणों का किया संचार |
द्वेष भाव का ओझल रंग,
मानव मन पर सवार हुआ,
किया सुन्दर कृति का संहार,
महक रही प्रीत की बस्ती,
अँगारों में दिया तार |
भूल गया अस्तित्त्व अपना,
घटना को दिल में उतार लिया,
मूक द्वेष के शब्द गहरे,
द्वेष बना अभिशाप मनु का ,
प्रीत का दामन हुआ तार-तार |
- अनीता सैनी
द्वेष बना अभिशाप मनु का
जवाब देंहटाएंप्रीत की वाणी भूल गया |
बहुत सुंदर और सटीक रचना सखी
प्रिय सखी अनुराधा जी तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 03 मार्च 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीया यशोदा दीदी आप का तहे दिल से आभार पाँच लिंकों का आंनद में मुझे स्थान देने के लिए |
हटाएंसादर
शशि का तेज़
जवाब देंहटाएंनीर नयन में तार दिया
पवन पीर दबा ह्रदय
प्राणों का संचार किया
वाह बहुत ही सुंदर।
आभार
सह्रदय आभार आदरणीय ज़फर जी
हटाएंसादर
द्वेष बना अभिशाप मनु का
जवाब देंहटाएंप्रीत का दामन डोल गया |
समसामयिक सुंदर रचना।
सह्रदय आभार आदरणीय शशि भाई
हटाएंसादर
बहुत सुंदर व्याख्यान द्वेष हमेशा से मनुष्य के लिए अभिशाप का ही कारण बनता है ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार रितु बहन उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंसादर
वाह वाह सुनीता ज़ी अप्रतिम लेखन 👌👌👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंआदरणीया सखी इंदिरा जी हमेंशा की तरह उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए ,
हटाएंआप को बहुत सा सस्नेह आभार
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-03-2019) को "अभिनन्दन" (चर्चा अंक-3262) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सह्रदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना सखी।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी दीपशिखा जी आप को बहुत सा स्नेह
हटाएंसादर
बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय संजय भाई हमेंशा की तरह उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर.... लाजवाब...।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
नाज़ुक हाथ
जवाब देंहटाएंथामें प्रीत के कोमल तार
मुग्ध भाव से बिखेर रही
मन भावों के तार |
बहुत खूब अनिता जी ।
जी सस्नेह आभार आप का
हटाएंसादर
द्वेष भाव का ओझल रंग
जवाब देंहटाएंमनु मन पर सवार हुआ
किया सुन्दर कृति का संहार,
महक़ रही प्रीत की बस्ती
अंगारों में तार दिया |
लाजबाब पक्तियां ,अति सुंदर ,स्नेह
प्रिय कामिनी बहन आप का तहे दिल से आभार उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंस्नेह
सादर
भूल गया अस्तित्व अपना
जवाब देंहटाएंघटना को दिल में उतार लिया
मुक द्वेष के शब्द गहरे,
द्वेष बना अभिशाप मनु का
प्रीत का दामन डोल गया |
वाह सखी वाह।
अप्रतिम।
सस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर