अँधा मानुष है बना , थके हुए है पाँव ||
द्वेष बवंडर उड़ रहा, उगे गधे के सींग |
होकर भी अभिमान में , मनुज मारता डींग ||
देखा-देखी बढ़ रही , बड़े बेल की बात |
अपनों को ही मिल रही, मनचाही सौग़ात ||
आती पश्चिम से हवा, मिटी मनुज की आन |
दुनियाभर को सभ्यता, पूरब करता दान ||
आँधी भू पर उड़ रही, टपक रहा है ख़ून |
जीभ बोलती बोल है, कोरे है मज़मून ||
जोड़े धन की गाठड़ी , काया नोंचे काक |
माया मन को तोड़ती, मानुष खाये ख़ाक ||
- अनीता सैनी
वर्त्तमान मानव पर अति उत्तम दोहे
जवाब देंहटाएंजी प्रणाम
हटाएंहोळी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंहोळी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंहोळी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-03-2019) को "मन के मृदु उद्गार" (चर्चा अंक-3279) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में स्थान देने के लिए
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
जोड़े धन की गाठड़ी , नोंचे काया काक |
जवाब देंहटाएंमाया मन को तोड़ती , मानष खाये ख़ाक ||
बहुत खूब..........
बहुत सुंदर,
हटाएंसस्नेह आभार कामिनी बहन
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
बढ़िया
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय जोशी जी
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर नमन
अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
आछी है जी।
जवाब देंहटाएंजी सस्नेह आभार
हटाएंहोळी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
देख धरा पर आवती, प्रलय की सी छाँव |
जवाब देंहटाएंअंधा मानस है बना , टूटे सब के पाँव ||
द्वेष बवंडर उड़ रहा, सिर पे उगा है सींग |
क्रोध मन पर राज करे , मानवता बन भींग ||
प्रिय अनिता आप दोहे की विलुप्त परम्परा को जीवित रखने की कोशिश कर उल्लेखनीय काम कर रही हैं | सस्नेह आभार और शुभकामनायें |
आपकी उत्साहित प्रतिक्रिया का भी उतना ही सहयोग है,
हटाएंसस्नेह आभार रेणु बहन
हटाएंआप को होली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
सुन्दर दोहे...
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
बहुत सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट: शाहरुख खान मेरे गाँव आये थे।
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
राधे राधे बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंHttps://nkutkarsh.blogspot.com
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
वर्तमान को समेटे कुछ सुन्दर दोहे ... विविध विषयों को छूते हैं सब ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
सहृदय आभार आदरणीय दिगम्बर जी
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर दोहे
बधाई
सहृदय आभार आदरणीय ज्योति जी
हटाएंआप को होली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
बेहतरीन दोहे
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
सादर
वाह बहुत सुंदर सखी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
जोड़े धन की गाठड़ी , नोंचे काया काक
जवाब देंहटाएंमाया मन को तोड़ती , मानुष खाये ख़ाक
बहुत सुन्दर
जोड़े धन की गाठड़ी , नोंचे काया काक
जवाब देंहटाएंमाया मन को तोड़ती , मानुष खाये ख़ाक
बहुत सुन्दर
सुंदर और सार्थक दोहे। सादर।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर