बन मधुमास मिलेंगे दोबारा,
लौटेंगे हसीं ख़्वाब, नक्षत्र बन,
चमकेगा सौभाग्य का सितारा |
आँखों में उमड़े स्वप्न गूँथूँ,
दमकना ज़िंदगी तुम दुल्हन बनके,
अस्तित्त्व अपना जताने उठना,
झलकना आँखों से अश्रु-तारे बनके |
हो न अनहोनी का अंदेशा,
तुम निर्भीक तेज़ हृदय को पिला देना,
अटल पाषाण-सा वक़्त का साथ,
ज़िंदगी के हाथों में थमा देना |
न गुज़रेगें फिर इस राह से,
एक घूँट मोहब्बत का ज़िंदगी को पिला देना,
पथ नहीं यह जीवन का,
प्रीतदीप राह में जला देना |
दर्द का जीवन में बहे दरिया,
ऐसा संचार साँसों में बहा देना,
छूट रही ज़िंदगी , बन सैकत,
कुछ पल का ठहराव दिला देना |
तड़प रही मानवता एक घूँट अमृत पिला देना,
थामे वक़्त की अँगुली चलना सिखा देना |
काँच के टुकड़ों-सा बिखर रहा मानव,
साँसों की अहमियत ज़िंदगी तुम बता देना,
तिमिर में छुपाया मुँह,
रो रहा तेज़ तुम अश्रु पोंछ देना |
-अनीता सैनी
अनिता जी राम राम सा बहुत दिनों से आप की मन के भावों को शब्दों में पिरोया है बहुत अच्छा लगा 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंश्री मान नारायण चौधरी जी हृदय तल से आभार आप का
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु |राम राम 🙏🙏
सादर
काँच के टुकड़े सा बिखर रहा मानव
जवाब देंहटाएंसांसों की अहमियत जिंदगी तुम बता देना
सुन्दर अभिव्यक्त।
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
काँच के टुकड़े सा बिखर रहा मानव
जवाब देंहटाएंसांसों की अहमियत जिंदगी तुम बता देना
सुन्दर अभिव्यक्ति।
आदरणीय विकास जी हृदय तल से आभार आप का उत्साहवर्धन हेतु |प्रणाम
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं
हटाएंप्रणाम दीदी जी 🙏🙏
बहुत अच्छा लगा आप ब्लॉग पर पधारे और उत्साहवर्धन किया |सस्नेह आभार आप
सादर
ए जिंदगी गले लगा ले
जवाब देंहटाएंमैने भी तो तेरे हर गम को गले से लगाया है
है ना।
अप्रतिम रचना
आदरणीय कुसुम दी जी प्रणाम | ब्लॉग जगत में आप का बहुत स्नेह मिला है मुझे हमेशा अपना साथ बनाए रखना
हटाएंसस्नेह आभार
सादर नमन
वाह!!सखी ,बहुत सुंदर भावों से भरी रचना।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभर सखी शुभा जी आप का स्नेह मुझे पर यूँ ही बना रहे
हटाएंसादर नमन
भावात्मक ...., हृदयस्पर्शी रचना अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी मीना भारद्वाज जी हृदय तल से आभार आप का
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु | आप को बहुत सा स्नेह
आभार
सादर
तड़पती मानवता
जवाब देंहटाएंकुछ घूँट अमृत पिला देना
थामे वक़्त की अंगुली
चलना उसे सिखा देना
बहुत सुंदर रचना सखी
प्रिय सखी अनुराधा चौहान जी, आप को बहुत सा सस्नेह आभार |अपना प्यार और साथ यूँ ही बनाये रखना |
हटाएंसादर
वाहह्हह.. बहुत सुंदर बोल चिड़िया के जीवन के अनमोल सीख👍👍
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी श्वेता जी उत्साहवर्धन हेतु तहे दिल से आभार आप का आप का साथ यूँ ही बना रहे
हटाएंसादर
तड़पती मानवता
जवाब देंहटाएंकुछ घूँट अमृत पिला देना
थामे वक़्त की अंगुली
चलना उसे सिखा देना
बहुत सुंदर... लाजबाब... रचना सखी
प्रिय सखी कामिनी जी आप को बहुत सा स्नेह |
हटाएंआभार
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-03-2019) को "अपनी औकात हमको बताते रहे" (चर्चा अंक-3287) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 27 मार्च 2019 को साझा की गई है..
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in/
पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।
प्रिय सखी सस्नेह आभार आप को पाँच लिंकों का आंनद में मुझे स्थान देने के लिए |
हटाएंसादर
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन के लिए
हटाएंसादर
काँच के टुकड़ों सा बिखर रहा मानव
जवाब देंहटाएंसांसों की अहमियत जिंदगी तुम बता देना
...वाह..बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना..
आदरणीय कैलाश शर्मा जी सहृदय आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी और मार्गदर्शन हेतु
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
काँच के टुकड़ों सा बिखर रहा मानव
जवाब देंहटाएंसांसों की अहमियत जिंदगी तुम बता देना
बहुत ही सुन्दर.... सराहनीय ...लाजवाब रचना।
सस्नेह आभार सखी
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बुत सुन्दर ! लें इतनी उदासी? इतनी निराशा? इतनी प्यास? इतनी शिकायत?
जवाब देंहटाएंएक पुराना नग्मा याद आ गया -
'गम की अंधेरी रात में, दिल को न बेक़रार कर, सुबह ज़रूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर.'
वाह !सर बहुत सुन्दर 👌|आप की टिप्णी का हमेशा इंतजार रहता | तहे दिल से आभार आप का
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सुन्दर। मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति जो भाव जगाती है।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय |प्रणाम
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उम्मदा रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीया उर्मिला जी आप का तहे दिल से आभार
हटाएंउत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
सादर
काँच के टुकड़ों सा बिखर रहा मानव
जवाब देंहटाएंसांसों की अहमियत जिंदगी तुम बता देना
तिमिर में छुपाया मुँह
रो रहा तेज़ तुम अश्रु पोंछ देना |
प्रिय अनिता -- जीवन में नव आशा का आह्वान करती ये रचना जिन्दगी को भावपूर्ण उद्बोधन है | आशा ही संसार में जीवटता का पर्याय है | लिखती रहो - तुम्हारी लेखनी तुम्हे बहुत आगे लेकर जाए मेरी यही दुआ और कामना है | सस्नेह --
प्रिय रेणु दी आप को बहुत सा स्नेह, आप ने हमेशा मेरी अंगुली थामी और आगे बढ़ना सिखाया, आप का तहे दिल से आभार
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