गुरुवार, मार्च 7

ख़ामोशी तलाशती है शब्द


                                         

कुछ कहना चाहती है ख़ामोशी, 
ढूँढ़ती हुई भटकती है दर-ब-दर, 
शब्द |
धड़कनों से, 
 आँखों में  झाँ कती  है, 
  जताती है  अस्तित्व, 
की वो भी  है, 
 शब्द |
जड़ता की ख़ामोशी में 
  सिसक रहे शब्द भी 
शब्द हैं |
दामन में सिमटी 
घर के  कोने से झाँकती 
 निःशब्द  ख़ामोशी 
शब्द है |
ख़ामोशी सँजो देती स्वप्न, 
स्वप्न ज़िंदगी, 
ज़िंदगी  शब्द, 
शब्दों में होती ख़्वाहिशें,   
ख़्वाहिशें बन जाती ज़िंदगी,  
ज़िदगी बुनती है, 
शब्द |
पर  यादें  ख़ामोश नहीं 
चीख़तीं  चिल्लातीं  हैं  
न जाने कितने शब्दों  का 
कोहराम है यादें |
वह ख़ामोशी की तरह रेंगती नहीं 
तड़पती नहीं,
 अपनी मौत मरती नहीं  
सिर्फ़   बस  जाती है 
दिल में |
ख़ामोशी शब्द ढूँढ़ती है 
आँखों में तलाशती है परिचय 
हवाओं में ढूँढ़ती 
शब्द |
यादें  झलक जाती है 
दिल से 
 नि:शब्द |

            -   अनीता सैनी 

32 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुन्दर अनीता जी बहुत दिनो बाद आप की रचना आई है

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-03-2019) को "जूता चलता देखकर, जनसेवक लाचार" (चर्चा अंक-3268) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
      सादर

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  3. ख़ामोशी शब्द ढूंढ़ती है
    आँखों में तलाशती है परिचय
    हवाओं में ढूंढ़ती
    शब्द |
    यादें झलक जाती है
    दिल से
    निशब्द …………बेहतरीन रचना सखी 👌

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  4. ख़ामोशी शब्द ढूंढ़ती है
    आँखों में तलाशती है परिचय
    हवाओं में ढूंढ़ती
    बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

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  5. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/03/112.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  6. प्रणाम आदरणीय
    तहे दिल से आभार आप का मित्र मंडली में मुझे स्थान देने के लिए |
    आभार
    सादर

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  7. खामोशी खामोश कहाँ रह पाती है ...
    मुखर अभिव्यक्ति किसी चीख से भी ज्यादा आवाज़ लिए ...

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    1. सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
      सादर

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  8. बहुत सुंदर रचना ,सखी

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  9. शब्द का सुंदर आख्यान..बहुत सुंदर रचना अनीता जी..सराहनीय सृजन👌

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    1. सस्नेह आभार आदरणीया श्वेता जी
      सादर

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  10. ख़ामोशी सजों देती स्वप्न
    स्वप्न जिंदगी
    जिंदगी शब्द
    शब्दों में होती ख्वाहिशें
    ख्वाहिशें बन जाती जिंदगी
    वाह!!!!
    क्या बात है...बहुत लाजवाब...।

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  11. पर यादें ख़ामोश नहीं
    चीख़ती चिल्लाती है
    न जाने कितने शब्दों
    यादों पर बहुत ही शानदार चिंतन किया है आपने प्रिय अनीता| सच है यादें मौन रहकर भीतर ही बसी हुई जीवन का सशक्त संबल बन जाती हैं | सस्नेह शुभकामनायें इस भावपूर्ण रचना के लिए |

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