सुकून की तलाश में भटक रही ज़िंदगी
ग़मों से खेल गयी,
खुशियों से भरा दामन लाँघ,
हँसी को तरस गयी |
ज़िंदगी के लिये दौड़ रही दुनिया,
वक़्त, ज़िंदगी निगल गयी,
तराजू से तौल रहे प्रीत,
ज़िंदगी , प्रीत को तरस गयी |
बेहाल हुये रिश्ते,
हाल पूछने से शान बदल गयी,
बहुत गम है सीने में,
रोने से आँखें घबरा गयीं |
सामने खड़ी ज़िंदगी,
सजाने की चाह बदल गयी
पल-पल दम तोड़ती इंसानियत,
मुस्कुराने की राह बदल गयी |
- अनीता सैनी
सहृदय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!!सखी ,बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बेहद सटीक एवं गहन भाव को बड़ी खूबसूरती के साथ
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
वाह !अनिता जी बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीय
हटाएंसादर
सत्य यथार्थ का आभास देती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय कुसुम दी
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-04-2019) को "वैराग्य भाव के साथ मुक्ति पथ" (चर्चा अंक-3317) (चर्चा अंक-3310) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
यथार्थ
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
🙏🙏🙏
बहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
प्रिय सखी श्वेता जी तहे दिल से आभार आप का पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
इब्तिदाए इश्क़ है, रोता है क्या,
जवाब देंहटाएंआगे-आगे देखिए, होता है क्या.
प्रीत की राह चला जीवन
हटाएंकाँटों से मोहब्बत, दर्द से यारी यही ज़ुल्म किया संगीन |
जिन्दगी पल पल बदल ही तो रही है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....
वाह!!!
सस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
गहन भावों की गहन अभिव्यक्ति ..., बहुत हृदयस्पर्शी सृजन अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी मीना आप का तहे दिल से आभार
हटाएंढेर सारा स्नेह बहन आप का
सादर
सुकून की तलाश में भटक रही ज़िंदगी
जवाब देंहटाएंगमों से खेल गई
खुशियों से भरा दामन लाँघ,
हँसी को तरस गई |
बहुत सुंदर प्रस्तुति प्रिय अनीता | जीवन के सफर में पल पल बदलते रंगों का सुंदर शब्दांकन किया आपने | भावपूर्ण विचारणीय विषय की रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें |
प्रिय सखी रेणु जी आप की टिप्णी हमेशा से ही उत्साहवर्धन और बहुत ही सुन्दर रही है आप मेरे ब्लॉग पर पधारी यह सौभाग्य है मेरा ,अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखे
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बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
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