Powered By Blogger

गुरुवार, अप्रैल 25

ज़िंदगी तू कितनी बदल गयी




सुकून की तलाश में  भटक  रही ज़िंदगी 
ग़मों  से  खेल  गयी,  
खुशियों से भरा दामन लाँघ,
हँसी  को  तरस   गयी |


ज़िंदगी  के  लिये  दौड़  रही  दुनिया, 
वक़्त, ज़िंदगी   निगल  गयी,  
तराजू  से  तौल  रहे  प्रीत,  
ज़िंदगी ,  प्रीत   को    तरस  गयी  |


बेहाल  हुये  रिश्ते, 
हाल पूछने  से  शान  बदल  गयी, 
बहुत   गम  है  सीने  में, 
रोने  से  आँखें   घबरा  गयीं |


सामने  खड़ी  ज़िंदगी, 
सजाने  की  चाह  बदल  गयी 
पल-पल दम तोड़ती इंसानियत, 
मुस्कुराने  की  राह  बदल  गयी  |

- अनीता सैनी 

29 टिप्‍पणियां:

  1. सहृदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!!सखी ,बहुत खूब !!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद सटीक एवं गहन भाव को बड़ी खूबसूरती के साथ

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह !अनिता जी बहुत खूब |

    जवाब देंहटाएं
  5. सत्य यथार्थ का आभास देती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-04-2019) को "वैराग्य भाव के साथ मुक्ति पथ" (चर्चा अंक-3317) (चर्चा अंक-3310) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में स्थान देने के लिए
      सादर

      हटाएं
  7. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सखी श्वेता जी तहे दिल से आभार आप का पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए
      सादर

      हटाएं
  8. इब्तिदाए इश्क़ है, रोता है क्या,
    आगे-आगे देखिए, होता है क्या.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रीत की राह चला जीवन
      काँटों से मोहब्बत, दर्द से यारी यही ज़ुल्म किया संगीन |

      हटाएं
  9. जिन्दगी पल पल बदल ही तो रही है...
    बहुत सुन्दर रचना....
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  10. गहन भावों की गहन अभिव्यक्ति ..., बहुत हृदयस्पर्शी सृजन अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सखी मीना आप का तहे दिल से आभार
      ढेर सारा स्नेह बहन आप का
      सादर

      हटाएं
  11. सुकून की तलाश में भटक रही ज़िंदगी
    गमों से खेल गई
    खुशियों से भरा दामन लाँघ,
    हँसी को तरस गई |
    बहुत सुंदर प्रस्तुति प्रिय अनीता | जीवन के सफर में पल पल बदलते रंगों का सुंदर शब्दांकन किया आपने | भावपूर्ण विचारणीय विषय की रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सखी रेणु जी आप की टिप्णी हमेशा से ही उत्साहवर्धन और बहुत ही सुन्दर रही है आप मेरे ब्लॉग पर पधारी यह सौभाग्य है मेरा ,अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखे
      सादर

      हटाएं