नूर को न निहारा,
वो यूँ नाराज़ हो गयी,
उसे संवारने की चाह विफल रही,
मैं भी चला और वह वादियों में खो गयी |
अपनी मीठी रसना से,
उसने बोले प्रीत के दो बोल,
डूब गया मैं शब्दों में,
जैसे अमृत का हो घोल |
मधुर अभिलाषाएँ लिये ,
चुपके-चुपके रही वो घूम,
हृदय में उठे मंगल-गीत,
कानों को रहे चूम |
प्रेम को रोध क़दमों से,
स्नेह की परिभाषा समझाती वो,
प्रीत की गहराइयों में,
मग्न अकेली डूबती जाती वो |
-अनीता सैनी
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजी आभार आप का
हटाएंसादर
अत्यंत सुन्दर सृजन अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
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बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/04/2019 की बुलेटिन, " नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सहृदय आभार आदरणीय आप का
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सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंसादर
सुंदर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
👌 👌 सुंदर प्रस्तुति सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
८ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
तहे दिल से आभार श्वेता जी आप का
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बेहतरीन रचना ....
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी कामिनी जी आप का तहे दिल से आभार
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सुन्दर सृजन ... प्रेम की भाषा सहज ही उग आती है ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिगंबर नासवा जी आप का तहे दिल से आभार उत्साहवर्धन के लिए
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बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह!!
प्रिय सखी सुधा जी आप को बहुत सा सस्नेह
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बहुत सुंदर रचना,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी ज्योति आप को बहुत सारा स्नेह
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बहुत ही सुन्दर रचना प्रिय सखी
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी अभिलाषा जी - तहे दिल से आभार आप का उत्साहवर्धन के लिए
हटाएंस्नेह आप को
सादर
बहुत सुंदर अनिता बहन सहज सरस गति लिये अनुपम काव्य ।
जवाब देंहटाएंप्रिय दी आप का तहे दिल से आभार
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