शनिवार, मई 11

माँ



अंतरमन में बहे करूणा,  
माँ , स्नेह का संसार, 
नि:शब्द भावों में झलके,  
माँ   मौन,  माँ मुखर  हृदय  का उद्गगार |


 आँखों  में   झलकें   स्नेह,  
माँ,   रण   में   हुँकार, 
आस्था  में  बैठा  विश्वास, 
माँ,  कर्म  पथ  का  विस्तार |


नाज़ुक  डोर  बँधे  जीवन  की,  
माँ,  जीवन  का  सार, 
क़दम  क़दम पर ढाल बनी, 
माँ , दो धारी तलवार |


नारी रूप नारायणी, 
माँ,  शक्ति का अवतार, 
मिथक  भ्रम  जग  ने  पाला, 
माँ,काली  के  एक  पाँव  का  संसार |


सृष्टि   का  कण-कण  दाता, 
माँ,  स्नेह   रूप   में   साकार, 
सुकूँ  की छाँव मिले  जीवन  में, 
 माँ,   ममता  की   बौछार |

- अनीता सैनी






38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  2. भावनाओं से ओतप्रोत रचना।
    मातृदिवस पर सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने।

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  3. अनुपम औ अद्वितीय भावाभिव्यक्ति सुखद औ सराहनीय, अविस्मरणीय औ अभिनंदनीय है।
    जी सादर धन्यवाद उत्कृष्ट चिंतन चित्रण निमित्त ।
    🙏 👏 🙏

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  4. बहुत सुंदर कोमल भावों की सरस सुंदर सरचंना।
    सुलभ भाव रचना ।

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  5. अंतर मन में बहे करूणा
    माँ , स्नेह का संसार
    नि:शब्द भावों में झलकें
    माँ मौन, माँ मुखर हृदय का उद्गगार
    माँ पर रचना का यह स्वरूप कोई माँ ही रच सकती है। बहुत ही सुन्दर रचना सृजित हुई है। एक माँ की लेखनी को कोटिशः नमन।

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  6. बहुत सुंदर कोमल भावों की सरस सुंदर सरचंना।
    सुलभ भाव रचना ।

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  7. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति सखी ।

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति प्रिय अनीता..👌

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनिता दी।

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय ज्योति बहन
      सादर

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  10. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति प्रिय अनीता 👌👌

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    1. प्रिय सखी मीना जी सस्नेह आभार आप का
      सादर

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  11. वाह. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी सुधा जी
      सादर

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  12. बहुत ही सुन्दर लाजवाब रचना...
    मातृदिवस की शुभकामनाएं।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी सुधा जी
      सादर

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  13. नाजुक डोर बँधे जीवन की
    माँ, जीवन का सार
    क़दम क़दम पर ढाल बनी
    माँ , दो धारी तलवार
    माँ शब्द का सम्पूर्ण सार ,बेहतरीन रचना अनीता जी

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  14. बहुत सुंदर रचना प्रिय सखी मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी, मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
      आप को
      सादर

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  15. माँ, जीवन का सार
    क़दम क़दम पर ढाल बनी
    माँ , दो धारी तलवार
    माँ शब्द का सम्पूर्ण सार
    माँ पर रचना का यह स्वरूप कोई माँ ही रच सकती है। बहुत ही सुन्दर रचना

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  16. नाजुक डोर बँधे जीवन की
    माँ, जीवन का सार
    क़दम क़दम पर ढाल बनी
    माँ , दो धारी तलवार
    माँ के ममत्व और वात्सल्य की महिमा गाती अत्यंत स्नेहिल रचना | हार्दिक बधाई मातृदिवस की | सस्नेह

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
      सादर

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  17. कितने रूप हैं माँ के और हर रूप, हर विचार में माँ अलग, एक शक्ति, एक भक्ति और ममतामई ...
    बहुत सुन्दर रचना है ...

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  18. सुन्दर रचना |आपको बधाई और शुभकामनायें

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