आँखें गढ़ाये बैठे , निष्ठा से ठन गयी,
हौसले का थामा हाथ, मंज़िल से बात बन गयी |
साँसों में सुलगने का उस का इरादा न था,
इस क़दर मिलेगी राह में किया वादा न था|
लम्हा-दर-लम्हा निभाई वफ़ा,
लगा न कभी जिगर से हुई परायी |
नाक़ामी की उम्र क्या ,
मुठ्ठीभर रेत हवा के इंतज़ार की बारी क्यों ?
मंज़िल राह तकेगी, निष्ठा से कालाबाजारी क्यों ?
छोटी-सी ज़िंदगी,
द्वेष का मन पर राज क्यों ?
प्रेम से जियेंगे,अहंकार की अधीन क्यों ?
गुरूर से धड़कता सीना ,
स्वाभिमान से कलाकारी क्यों ?
आँखों में तेज़ ,मायूसी की पहरेदारी क्यों ?
मिलेगी शौहरत,
बढ़ते क़दमों से यारी क्यों ?
निकलना हो सफ़र पर दूरी का आँकलन मज़बूरी क्यों ?
- अनीता सैनी
इस क़दर मिलेगी राह में किया वादा न था|
लम्हा-दर-लम्हा निभाई वफ़ा,
लगा न कभी जिगर से हुई परायी |
नाक़ामी की उम्र क्या ,
मुठ्ठीभर रेत हवा के इंतज़ार की बारी क्यों ?
मंज़िल राह तकेगी, निष्ठा से कालाबाजारी क्यों ?
छोटी-सी ज़िंदगी,
द्वेष का मन पर राज क्यों ?
प्रेम से जियेंगे,अहंकार की अधीन क्यों ?
गुरूर से धड़कता सीना ,
स्वाभिमान से कलाकारी क्यों ?
आँखों में तेज़ ,मायूसी की पहरेदारी क्यों ?
मिलेगी शौहरत,
बढ़ते क़दमों से यारी क्यों ?
निकलना हो सफ़र पर दूरी का आँकलन मज़बूरी क्यों ?
- अनीता सैनी
बहुत शानदार
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार गहरे उतरती।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
वाह!!सखी ,सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी शुभा जी तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना..... ,सादर
जवाब देंहटाएंप्रिय बहन कामिनी जी तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-05-2019) को
"माँ कवच की तरह " (चर्चा अंक-3326) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
छोटी सी जिंदगी ,द्वेष का मन पर राज क्यों ?
जवाब देंहटाएंप्रेम से जियेंगे ,अहंकार की दबवारी क्यों ?
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर.....
लाजवाब।
प्रिय सखी बहुत बहुत आभार आप का
हटाएंबहुत सा सनेह
आभार
सादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आप का
हटाएंसादर
अत्यंत रोचक कविता
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय सखी आप का
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार प्रिय सखी श्वेता जी आप का हमक़दम में मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
छोटी सी जिंदगी ,द्वेष का मन पर राज क्यों ?
जवाब देंहटाएंप्रेम से जियेंगे ,अहंकार की दबवारी क्यों ?
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
प्रिय सखी मीना जी तहे दिल से आभार बहन
हटाएंसादर
वाह अनीता जी ! अनुपम सृजन !
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी सहृदय आभार आप का
हटाएंसादर
सहृदय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
आँखें गड़ाए बैठे , निष्ठा से ठन गई
जवाब देंहटाएंहौसले का थामा हाथ, मंजिल से बात बन गई
प्रिय अनिता तुम्हारी अपनी ही शैली में निष्ठा का ये यशोगान अद्भुत है | हार्दिक शुभकामनायें और मेरा प्यार |
सस्नेह आभार प्रिय रेणु दी
हटाएंसादर