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गुरुवार, जून 13

पुरखे वक़्त को आईना दिखा गये



दिवास्वप्न की परछाई, 
पुरखे,  सूर्य  का भ्रम  बता गये, 
वक़्त को  शमशीर, कर्म को साथी,
क़दमों को राह  दिखा  गये |

मधुर वाणी,  मिथ्या  मन  की  ,
 शब्दों का झोल, समझा गये, 
जला स्वार्थ की सिगड़ी,पुकार पुण्य को, 
 पाखंड का चेहरा दिखा गये |

तसव्वुर तहख़ाने में छुपा, 
वास्तविकता का दामन, हाथों में थमा गये ,
देशप्रेम   का  जज़्बा,
जूनून की मशाला  जला गये |

ख़्वाब पानी के बुलबुले, 
सच  के  साथ चलना सिखा  गये, 
इज्ज़त  की  दो  रोटी ,
स्वाभिमान  की पगड़ी थमा  गये |

तलाश  सतरंगी जीवन की,
 तारों का प्रिय परिधान दे गये , 
फूल - सी खिली तमन्ना, 
भोर को अर्पण कर गये |

न तपे तन  तेज़ तन्हाइयों से, 
लेप चंदन का लगा गये , 
महकता रहे आँगन,  
पेड़ यादों का लगा गये |

- अनीता सैनी 

16 टिप्‍पणियां:

  1. न तपे तन तेज़ तन्हाइयों से,
    लेप चंदन का लगा गये ,
    महकता रहे आँगन,
    पेड़ यादों का लगा गये |
    बहुत खूब ....

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    1. प्रिय कामिनी दी जी बहुत बहुत शुक्रिया आप का
      सादर

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार भावाभिव्यक्ति अनिता बहन।
    बस एक सोच है कि पुरखे तो बहुत कुछ दे गये संस्कारों की धरोहर के रूप में पर हम कितना आत्मसात कर पायें हैं?
    सुंदर बहुत सुंदर काव्यात्मक प्रस्तुति।

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    उत्तर
    1. प्रिय दी जी अमृतसर में जलियावाला बाग की नरसंहार हत्या कांड के निशान देख , भावभिव्यक्ति को रोक न पाई, उन के त्याग को लोग इस क़दर शर्म सार करेगें...... | आप का तहे दिल से आभार आपने हमेशा मेरा उत्साहवर्धन किया है |
      सादर स्नेह

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  3. न तपे तन तेज़ तन्हाइयों से,
    लेप चंदन का लगा गये ,
    महकता रहे आँगन,
    पेड़ यादों का लगा गये |
    बहुत ही सुंदर कल्पना प्रिय अनीता | पुरखों द्वारा दिखाई गयी रहें हमारी सच्ची पथ प्रदर्शक हैं जो जिससे नये संस्कारों का बीजारोपण होता हैं | सस्नेह शुभकामनायें इस भावपूर्ण रचना के लिए |

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय रेणु दी जी
      सादर स्नेह

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  4. न तपे तन तेज़ तन्हाइयों से....
    बहुत ही उम्दा लेखन ।।।।।। साधुवाद आदरणीया ।

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय पुरूषोतम जी
      प्रणाम
      सादर

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