सुनो ! सावन तुम फिर लौट आना,
फिर महकाना मिट्टी को,
डाल-डाल पर पात सजाना,
फिर बरसाना, बरखा रानी को |
पी प्रीत में पूछूँ प्रति पल ,
अधर-विश्वास न देना तुम ,
हँसी अधरों पर लेते आना ,
न मायूसी से मिलना तुम |
चंचला की चमक से,
घटाएँ गगन पर फिर फैलाना,
इंद्रधनुष के रंगों से ,
आँचल साँझ का तुम चमकाना |
सुनो ! सावन तुम साथ निभाना,
लौट आना तुम पी के साथ,
आँगन फूलों से फिर भर देना,
जब हों चौखट पर मेरे नाथ |
कोयल की मीठी कूक ले आना,
साथ पवन के अल्हड़ झोंकों को,
राह निहारुँ पल-पल तेरी ,
भूल न जाना आने को |
- अनीता सैनी
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर
वाह सरस सुंदर सावन की फूहार सी मनभावन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंतहे दिल आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर स्नेह
बेहतरीन और लाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर स्नेह
सावन से सुहावना आग्रह करती मोहक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर
वाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
सुंदर भाव से ओतप्रोत
बहुत बहुत शुक्रिया अनुज
हटाएंसादर
पी प्रीत में पूछूँ प्रति पल ,
जवाब देंहटाएंअधर-विश्वास न देना तुम ,
हँसी अधरों पर लेते आना ,
न मायूसी से मिलना तुम |...
विरह, प्रेम और विश्वास साथ ही एक प्रश्न संयोजित मन का सुन्दर उन्वान। बहुत-बहुत सुंदर लेखन। बधाई व शुभकामनाएं ।
तहे दिल से आभार आदरणीय
हटाएंप्रणाम
सादर
पी प्रीत में पूछूँ प्रति पल ,
जवाब देंहटाएंअधर-विश्वास न देना तुम ,
हँसी अधरों पर लेते आना ,
न मायूसी से मिलना तुम |
बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌
सस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर स्नेह
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवारीय विशेषांक १५ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार प्रिय सखी श्वेता जी मुझे पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
सुनो ! सावन तुम साथ निभाना,
जवाब देंहटाएंलौट आना तुम पी के साथ,
आँगन फूलों से फिर भर देना,
जब हों चौखट पर मेरे नाथ |
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब रचना।
तहे दिल से आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर स्नेह
सावन आया है और ये मधुर एहसास ले कर आता है ...
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण रचना ...
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
सुनो ! सावन तुम साथ निभाना,
जवाब देंहटाएंलौट आना तुम पी के साथ,
आँगन फूलों से फिर भर देना,
जब हों चौखट पर मेरे नाथ |
प्रिय अनीता , अत्यंत स्नेहिल और आत्मीय भावों से सावन को ये प्यारी सी मनुहार मन को छू गयी | मन के मधुर भावों से सजी इस रचना की जितनी सराहना करूं कम है---बस वाह और सिर्फ वाह !!!!!!! तुम्हारे इस बहुत ही सरस सृजन से मन मोह लिया है | मेरी शुभकामनायें और प्यार | ये हरियाला सावन तुम्हारे जीवन में यूँ ही रस बरसाता रहे --- मेरी दुआ है |
प्रिय रेणु दी जी| तहे दिल से आभार आप का,आप की उत्साहवर्धन समीक्षा हमेशा ही,बहुत ही सराहनीय रहती है|
हटाएंआप का स्नेह और सानिध्य यूँ ही बना रहे |
सादर स्नेह
ब्लॉग और भी प्यारा लग रहा है |
जवाब देंहटाएंजी आभार दी जी
हटाएंसस्नेह