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गुरुवार, जुलाई 11

सुनो ! सावन तुम फिर लौट आना



 सुनो ! सावन तुम फिर लौट आना,
फिर महकाना मिट्टी को,
डाल-डाल पर पात सजाना, 
फिर बरसाना, बरखा  रानी  को |

पी  प्रीत  में  पूछूँ  प्रति  पल ,
अधर-विश्वास  न  देना  तुम ,
हँसी  अधरों  पर  लेते  आना ,
न  मायूसी  से  मिलना  तुम |

 चंचला  की  चमक  से, 
घटाएँ  गगन  पर  फिर  फैलाना,
इंद्रधनुष  के  रंगों  से , 
आँचल साँझ  का तुम  चमकाना  |

सुनो ! सावन तुम साथ निभाना, 
 लौट आना  तुम  पी  के  साथ, 
आँगन  फूलों  से  फिर  भर  देना, 
 जब  हों   चौखट पर  मेरे  नाथ |

कोयल की मीठी कूक ले आना, 
साथ पवन के अल्हड़ झोंकों को,
राह  निहारुँ   पल-पल तेरी ,
भूल न जाना आने को |

- अनीता सैनी 

26 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सरस सुंदर सावन की फूहार सी मनभावन अभिव्यक्ति।

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  2. बेहतरीन और लाजवाब सृजन ।

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय सखी
      सादर स्नेह

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  3. सावन से सुहावना आग्रह करती मोहक अभिव्यक्ति.

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना

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  5. वाह
    बेहतरीन
    सुंदर भाव से ओतप्रोत

    जवाब देंहटाएं
  6. पी प्रीत में पूछूँ प्रति पल ,
    अधर-विश्वास न देना तुम ,
    हँसी अधरों पर लेते आना ,
    न मायूसी से मिलना तुम |...
    विरह, प्रेम और विश्वास साथ ही एक प्रश्न संयोजित मन का सुन्दर उन्वान। बहुत-बहुत सुंदर लेखन। बधाई व शुभकामनाएं ।

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    उत्तर
    1. तहे दिल से आभार आदरणीय
      प्रणाम
      सादर

      हटाएं
  7. पी प्रीत में पूछूँ प्रति पल ,
    अधर-विश्वास न देना तुम ,
    हँसी अधरों पर लेते आना ,
    न मायूसी से मिलना तुम |
    बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना सोमवारीय विशेषांक १५ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी श्वेता जी मुझे पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए
      सादर

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  9. सुनो ! सावन तुम साथ निभाना,
    लौट आना तुम पी के साथ,
    आँगन फूलों से फिर भर देना,
    जब हों चौखट पर मेरे नाथ |
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब रचना।

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    उत्तर
    1. तहे दिल से आभार प्रिय दी जी
      सादर स्नेह

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  10. सावन आया है और ये मधुर एहसास ले कर आता है ...
    भाव पूर्ण रचना ...

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  11. सुनो ! सावन तुम साथ निभाना,
    लौट आना तुम पी के साथ,
    आँगन फूलों से फिर भर देना,
    जब हों चौखट पर मेरे नाथ |
    प्रिय अनीता , अत्यंत स्नेहिल और आत्मीय भावों से सावन को ये प्यारी सी मनुहार मन को छू गयी | मन के मधुर भावों से सजी इस रचना की जितनी सराहना करूं कम है---बस वाह और सिर्फ वाह !!!!!!! तुम्हारे इस बहुत ही सरस सृजन से मन मोह लिया है | मेरी शुभकामनायें और प्यार | ये हरियाला सावन तुम्हारे जीवन में यूँ ही रस बरसाता रहे --- मेरी दुआ है |

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    उत्तर
    1. प्रिय रेणु दी जी| तहे दिल से आभार आप का,आप की उत्साहवर्धन समीक्षा हमेशा ही,बहुत ही सराहनीय रहती है|
      आप का स्नेह और सानिध्य यूँ ही बना रहे |
      सादर स्नेह

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  12. ब्लॉग और भी प्यारा लग रहा है |

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