हृदय की अगन से आहत न होना,
उस पल को थाम मुठ्ठी में तुम ज़िक्र मेरा करना,
उभरेगा अक्स आँखों में,
नीर बना उसे ना बहाना,
वक़्त को थमा अँगुली,
हिम्मत उठा कंधों पर,डग जीवन के भरना |
बहता बहुत जुनून साँसों में,
प्रति पल यही एहसास सजाना,
भरसक भ्रम भरा है भारी मन में,
तू इससे पार उतरना,
चित की चेतना पर मर्म मायूसी का,
मकरंद ! तुम मन मलिन न करना |मिलूँगी जीवन के हर मोड़ पर,
बन शीतल जल की प्याऊ,
उस एहसास को तुम,साँसों में समा लेना,
स्नेह से सींचा है वृक्ष वक़्त का,
ठंडे झोंकों को आग़ोश में भर,
जीवन नैया को पार तुम लगाना |
अंतरमन में उठेगी झंकारे,
तुम ख़ामोशी से सुनना,
निशा नयनों में भर देगी ज्योति,
तुम चेतना के चित्त पर मकां अपना बनाना |
- अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-07-2019) को "बड़े होने का बहाना हर किसी के पास है" (चर्चा अंक- 3398) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा पर स्थान देने के लिए |
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सादर
सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर
वाह!!सखी ,बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार सखी
हटाएंसादर स्नेह
वाह बहुत सुन्दर हौसला बढ़ाती आशा का संचार करती उत्तम रचना।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
हटाएंसादर
वाह ! लाजवाब
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार अनुज
हटाएंसादर
मिलूँगी जीवन के मोड़ पर,
जवाब देंहटाएंबन शीतल जल की प्याऊ,
उस एहसास को तुम,साँसों में समा लेना,
स्नेह से सींचा है वृक्ष वक़्त का,
ठंडे झोंकों को आग़ोश में भर,
जीवन नैया को पार लगाना |बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌
सस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
वाह ... मन के सुन्दर भाव झरने की तरह बह निकले जैसे ..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ...
बहुत बहुत शुक्रिया सर
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सादर
बहुत सुंदर रचना अनु..भाव बहुत अच्छे हैं।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
हटाएंबहना
बहुत सुंदर रचना,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार ज्योति बहन
हटाएंसादर स्नेह
सुंदर आशा दिलाती रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया दी जी
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सादर
जीवन का रसिकता से परिपूर्ण राग उसे सम्पूर्णता प्रदान करता है. सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंआभार
सादर
प्रिय अनिता -- तुम्हारी ये रचना मायूसी से घिरे आहत मन में नयी उमीद पैदा कर , जीने की ललक जगाती है | स्नेहिल सुर निर्मल आग्रह रचना को सार्थकता प्रदान कर रहे हैं जिसके लिए सस्नेह शुभकामनायें और प्यार |
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु दी जी --आप का ब्लॉग आना हमेशा है उत्साहवर्द्धक रहता है एक अपने पन की महक ब्लॉग पर छोड़ जाते हो |आप की स्नेह से ओतप्रोत समीक्षा, एक अपने पन के एहसास से जोड़ती है |तहे दिल से आभार आप का
जवाब देंहटाएंसादर स्नेह