एहसासात के समुंदर में प्रेम की कश्ती,
मझदार तक पहुँचा दो तो कोई बात हो |
फ़ज़ाओं में पनप रही नेह की महक,
आशियाना हमारा महका दो तो कोई बात हो |
ख़ुशगवार ज़िंदगी मुठ्ठी में कुछ मायूसी के लम्हे,
इन्हीं लम्हों को प्रीत का झूला झुला दो तो कोई बात हो |
गुज़र गये वो पल एक बार फिर लौटा दो,
उन्हीं पलों में महक तुम्हारी महका दो तो कोई बात हो |
वक़्त के थपेड़ों से यूँ घबराया न करो,
इन्हीं थपेड़ों में मशाल प्रीत की जला दो तो कोई बात हो |
एहसासात के अनगिनत मोती धारण किये साँसों पर,
इन्हें छूकर तुम कोहिनूर बना दो तो कोई बात हो |
- अनीता सैनी
वाह!मख़मली एहसासात को शब्द रूपी मोतियों में पिरोकर अभिव्यक्ति को हृदयस्पर्शी बना दिया है.
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आदरणीय |उत्साहवर्धन समीक्षा हेतु
हटाएंप्रणाम
सादर
वाह! इन थपेड़ो में मशाल प्रीत की जला दो त कोई बात हो। बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर स्नेह
बहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-07-2019) को "आशियाना चाहिए" (चर्चा अंक- 3404) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु
हटाएंप्रणाम
सादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२२ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार प्रिय श्वेता दी जी
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंख़ुशगवार ज़िंदगी मुठ्ठी में कुछ मायूसी के लम्हें
इन्हीं लम्हों को प्रीत का झूला झुला दो तो कोई बात बेहतरीन रचना सखी
सस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर स्नेह
वाह कितने रेशमी जज़्बात पिरोते हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कोमल अहसास लिए उम्दा सृजन।
तहे दिल से आभार प्रिय कुसुम दी जी
हटाएंसादर स्नेह
एहसास के समुंदर में प्रेम की कश्ती,
जवाब देंहटाएंमझदार तक पहुँचा दो तो कोई बात हो |
वाह!!!
लाजवाब सृजन...
तहे दिल से आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर स्नेह
एहसास के अनगिनत मोती इन्हे कोहिनूर बना दें तो कोई बात हो वाह अनीता जी सुन्दर एहसास
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर
वाह!!खूबसूरत एहसास !!प्रिय सखी ।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय सखी |
हटाएंसादर स्नेह
बहुत खूबसूरत रचना, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय ज्योति बहन
हटाएंसादर स्नेह
लाज़बाब रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर
इन्हीं लम्हों को प्रीत का झूला झुला दो तो कोई बात....बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सर
हटाएंसादर
रूहानी मखमली एहसासो से भरी बहुत ही प्यारी रचना प्रिय अनीता। लेखन का र्य नया रंग बहुत मनमोहक हैं ।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय रेणु दी जी
हटाएंसादर स्नेह
शानदार लेखन
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दी।
हटाएंसादर