अल्फ़ाज़ की मोहताज हूँ मैं,
एहसास धड़कनों में छिपाये,
ख़ामोशी में सिमट जाती हूँ मैं,
शब्दों के भँवर में उलझ,
ख़ामोश रह जाती हूँ मैं |
मधुर स्वर में रिझाना हो ,
कोई गान प्रीत का गाना हो,
रिमझिम बरसती घटाओं को,
गुफ़्तुगू में उलझाना हो,
शब्दों के भँवर में उलझ,
ख़ामोश रह जाती हूँ मैं |
उसके जाने से पहले,
उसको दिल का हाल बताना हो,
पत्थर-दिल नहीं हूँ मैं,
जज़्बात को शब्दों में पिरोना हो,
शब्दों के भँवर में उलझ,
ख़ामोश रह जाती हूँ मैं |
पहलू में बैठाकर
वक़्त का फ़लसफ़ा सुनाना हो,
ज़ख़्मों को देनी हो ज़ुबां,
ज़िंदगी की दास्तां में डूब जाना हो,
शब्दों के भँवर में उलझ,
ख़ामोश रह जाती हूँ मैं |
- अनीता सैनी
वाह!अंतरमुखी व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति कुछ इसी तरह से उभरती है.
जवाब देंहटाएंलज्जा, शर्मोहया, सादगी और चित्त की पावनता हमारे सामाजिक मूल्य हैं जिन्हें धारण करना जीवन को शिखर की ओर ले जाना है.
सुन्दर रचना.
आदरणीय रविन्द्र जी सर- तहे दिल से आभार आप का आप की समीक्षा ने रचना के चार चाँद लगा दिये|उत्साहवर्धन हेतु आभार
हटाएंप्रणाम
सादर
वाह!!सखी ,बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सखी
हटाएंसादर
उसके जाने से पहले,
जवाब देंहटाएंउसको दिल का हाल बताना हो,
पत्थर दिल नहीं हूँ मैं,
जज़्बात को शब्दों में पिरोना हो,
शब्दों के भँवर में उलझ,
ख़ामोश रह जाती हूँ मैं |बेहतरीन रचना सखी 👌
तहे दिल से आभार सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (25-07-2019) को "उम्मीद मत करना" (चर्चा अंक- 3407) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिये
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, सुंदर शब्द संयोजन, सुंदर धाराप्रवाह,सरस काव्यात्मकता फिर कैसे माने कोई कि शब्द के भंवर आप को उलझाने ।
जवाब देंहटाएंवाहह्ह्
प्रिय दी आप की टिप्णी हमेशा ही उत्साह से भरी होती है
हटाएंतहे दिल से आभार सुन्दर समीक्षा हेतु
प्रणाम
सादर
वाहः
जवाब देंहटाएंगज़ब की भावाभिव्यक्ति
आप ब्लॉग पर पधारी बहुत अच्छा लगा प्रिय विभा दी जी
हटाएंआप का ब्लॉग पर स्वागत है
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत शुक्रिया
प्रणाम
सादर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 25 जुलाई 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय पाँच लिंकों में मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंप्रणाम
सादर
खामोशी पर सार्थक रचना प्रिय अनीता।। खा खामोशी ले सागर ही अमर रचनाओ के मोती निकलते हैं। सुंदर रचना ! ई
जवाब देंहटाएंखामोशी पर सार्थक रचना प्रिय अनीता।। खामोशी के सागर से ही अमर रचनाओ के मोती निकलते हैं। सुंदर और भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दी जी
हटाएंसादर स्नेह