मंगलवार, अगस्त 27

मैं फिर लिखूँगी


                                           
क्षितिज पटल पर, 
लिखती रहूँगी, 
प्रतिदिन एक कविता,
धूसर रंगों से सजाती रहूँगी,  
उस पर तुम्हारा नाम।

तुम उसी वक़्त निहारना उसे, 

मुस्कुरा उठेगी वही ढलती शाम, 
और गटक जाना, 
यादों का एक  जाम।

मैं फिर लिखूँगी, 

घड़ी की सेकंड की सुई से, 
हर एक साँस पर, 
एक और कविता का, 
 झंकृत शब्द लिये  तुम्हारे नाम।

मा  जायेगी वह चिर-चेतना में, 
ड़ेल हृदय में  स्वाभिमान, 
पुकारोगे  अनजाने में जब उसका नाम, 
 आँखें   झलक जायेंगीं , 
 देख अश्कों  का लिखा  फ़रमान,  
जहाँ शब्द न बने तुम्हारे, 
 ख़ामोशी सुनायेगी उस पहर का पैग़ाम


आँखों में गुज़ारा है तुमने, 
रात का हर पहर ,
ठुड्डी टिकाये रायफ़ल पर,  
निहारा है खुला आसमान, 
चाँद-सितारों से किया, 
 बखान अपना फ़साना गुमनाम।

कभी ज़मी पर लिखकर मेरा नाम, 

पैर से मिटाते, 
कभी मुट्ठी में छिपाते, 
मंद-मंद मुस्कुराते, 
और सीने से लगा लेते, 
आँखों की नमी, 
रुँधा कंठ सुना देता,   
तुम्हारा अनकहा पयाम।

उसी पल, 

वक़्त की मुट्ठी में थमा देना, 
सपनों से सजा सुनहरा, 
मख़मली झिलमिलाता आसमान।

    @अनीता सैनी 'दीप्ति'

44 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (28-08-2019) को "गीत बन जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3441) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
      सादर

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  2. वाह बहुत खूबसूरत प्रेम कविता..भावपूर्ण शब्दों और कोमल एहसास से गूँथी सुंदर रचना अनु।

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  3. वाह!!प्रिय सखी ,अद्भुत सृजन !!

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  4. वाह बेहद खूबसूरत रचना सखी

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  5.  जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 28 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 29 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर
      प्रणाम
      सादर

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  7. कविता आज अपने आप पर गर्व कर सकती है क्योंकि इस अभिव्यक्ति में जो भाव गुँथे हुए हैं वे समाज के विराट केनवास
    पर भावबोध के सौन्दर्यमयी रंगों से सजे हैं.
    सैनिक और सैनिक की मेहबूबा दोनों देशप्रेम का सर्वोत्कृष्ट बलिदान प्रस्तुत करते हैं अपना-अपना यौवन देश की मिट्टी की ख़ातिर सहर्ष न्यौछावर करते हैं.
    मेरा नमन दोनों महान आत्माओं को.
    यह एक राष्ट्रीय कविता है जिसे जब भी मान्यता मिले तब मिले और पाठ्यक्रम में शामिल की जाय लेकिन मेरी ओर से इसकी संस्तुति आज ही की जाती है.
    इस बेहद ख़ास रचना के लिये आपको ढेरों बधाइयाँ अनीता जी.
    लिखते रहिए अभी आपका सर्वश्रेष्ठ सृजन सामने आना बाक़ी है.

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    1. निशब्द हूँ सर आप कि समीक्षा पर
      आप का सानिध्य यूँ ही बना रहे
      तहे दिल से आभार आप का
      प्रणाम
      सादर

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  8. आँखों में गुज़ारा है तुमने,
    रात का हर पहर ,
    ठुड्डी टिकाये रायफ़ल पर,


    hmmm

    धूसर रंगों से सजाती हूँ,
    उस पर तुम्हारा नाम ।


    bahut hi pyaari rchnaaa hui..bdhaayi aapko

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  9. पूरी रचना ही शानदार है ,नमन

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  10. कभी ज़मी पर लिखकर मेरा नाम,
    पैर से मिटाते,
    कभी मुठ्ठी में छिपाते,
    मंद-मंद मुस्कुराते,
    और सीने से लगा लेते,
    आँखों की नमी,
    रुधा कंठ सुना देता,
    तुम्हारा अनकहा पयाम ।
    बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन.....
    एक सैनिक देश और दुनिया की नजर में वीर यौद्धा है जो हर परिस्थिति मेंं देशरक्षा के लिए जी-जान से समर्पित हैं परन्तु उसका निजी जीवन उसके अन्तर्मन के भाव आपकी रचना में पढकर सीधे दिल को छू गये.....महीनों अपनों से दूर घर से दूर और अपनी जीवनसंगिनी से अलग अपने प्रेम की अभिव्यक्ति यूँ ही मिट्टी से कर उसी में मिलाते होंगे चाँद तारों संग रोते मुस्कुराते और बतियाते होंगे....
    सचमुच लाजवाब बहुत लाजवाब सृजन...

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  11. प्रिय अनिता , आज सचमुच तुम्हारी रचना के स्नेहिल भाव सराहना से परे है | मैं जो कहना चाहती थी वो रवीन्द्र भाई भी कह चुके हैं | सैनिक देश की सेवा में सीमा पर तैनात रहता है तो सैनिक की पत्नी घर के भविष्य को संवारती परिवार के मोर्चे पर दृढ़ता से जुटी रहती है | दोनों का योगदान अपनी अपनी जगह अतुलनीय है | तुम्हारी रचना एक पत्नी का अपने सैनिक पति को अनमोल उपहार है जो अपने परिवार और प्रेयसी की यादों में खोया निरंतर कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहता है | रचना के विरह वेदना में डूबे , स्नेहिल भाव मन को बहुत भावुक कर देते हैं | बड़ा सौभाग्यशाली है वो सैनिक, जिसकी पत्नी बनाम प्रेयसी क्षितिज पटल पर रोंज एक गीत अपने प्रेमी सैनिक के नाम लिखने की प्रबल आकांक्षा रखती है | जिसके शब्द वीर जवान के जीवन में दूर ही से निरंतर , उत्साह और उमंग का संचार करते हैं | रचना के ये शब्द तो सैनिक जीवन का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत करते हैं जिनसे उनके प्रति अतुल श्रद्धा का प्रादुर्भाव होता है

    आँखों में गुज़ारा है तुमने,
    रात का हर पहर ,
    ठुड्डी टिकाये रायफ़ल पर,
    निहारा है खुला आसमान,
    चाँद-सितारों से किया,
    बखान अपना फ़साना गुमनाम ।

    ये रचना तुम्हारे ब्लॉग की अविस्मरनीय रचना बनकर रहेगी | हार्दिक स्नेह के साथ ढेरों शुभकामनायें | जिस प्रेम को तुमने रचना में बड़े भावुक मन से पिरोया है वह अमर और अटल हो |

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    1. तहे दिल से आभार दी आप का
      प्रणाम
      सादर

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  12. रेणु जी आपका सह्रदय धन्यवाद|

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    1. प्रिय मुकेश , आपका हार्दिक अभिन्दन है | आप जैसे वीर जवानों पर हमें गर्व है |

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  13. पांच दिनों से यह रचना हर दिन पढ़ रही हूं पर आज तक इसको पुरा सम्मान दे सकूं ऐसे शब्द नहीं जुटा पा रही। स्नेह और प्रेम की पराकाष्ठा कितनी शालिनता से उभर कर आई है।
    एक घर से दूर पति वो भी सैनिक उसकी विरहन पत्नी ने अपने नहीं अपने प्रिय के भाव ऐसे अंकित किए हैं जैसे वहीं स्तरीय स्वयं जी रही है । असाधारण बिंब दिल की गहराई से निकले मोतीओं का सुंदर हार ।
    अनुपम अभिनव सृजन ।

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    1. स्तरीय को सत्य पढ़ें।
      कृपया।

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    2. बहुत ही सुन्दर समीक्षा प्रिय कुसुम दी जी, आप का स्नेह और सानिध्य यूँ ही बना | बहुत बहुत शुक्रिया आप का
      सादर स्नेह
      प्रणाम

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  14. "तुम उसी वक़्त निहारना उसे,
    मुस्कुरा उठेगी वही ढ़लती शाम,
    और गटक जाना,
    यादों का एक जाम ।"
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !

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  15. विडीओ ब्लॉग पंच में आपके एक ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा कश्मीर और ब्लॉग पंच पार्ट 4 के एपिसोड में की गई है । "

    : Enoxo multimedia

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  16. बेहतरीन और बस बेहतरीन...

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  17. वाह... किन शब्दों में तारीफ करें... बस बेहतरीन है 👌👌

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  18. बेहतरीन
    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें !!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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