कह दो क़ुदरत क़ायनात से कुछ ऐसा,
कश्मीर-सा सुन्दर उपहार सजा दे,
करूँ नमन प्रतिपल वीर शहीदों को,
हृदय को उनका द्वार दिखा दे |
लिया भार,भारत माँ का कंधों पर ,
उन वीर शहीदों की, चौखट के दीदार करा दे,
पहन केसरिया किया जीवन अपना क़ुर्बान,
जनमानस को वीरों के रक्त से लिखा संदेश दिखा दे |
पावन पर्व आज़ादी का, मिला जिनके बलिदान से,
अमर गाथा लिखूँ लहू से अपने,हाथों में ऐसी क़लम थमा दे,
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,चंद्र शेखर जैसे हों भाई,
हिंद देश में कह सिंधु से स्नेह का ऐसा सागर भरवा दे |
- अनीता सैनी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 15 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय पाँच लिंकों के आनंद पर स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
बहुत सुंदर सृजन, बहुत सुंदर भाव, देश भक्ति और वीरों शहीदों को पूर्ण सम्मान देते उच्च भाव सृजन ।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय कुसुम दी जी
हटाएंसादर स्नेह
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,चंद्र शेखर जैसे हों भाई,
जवाब देंहटाएंहिंद देश में कह सिंधु से स्नेह का ऐसा सागर भरवा दे |
वाह!!!!
स्वतंत्रता दिवस पर वीर शहीदों की मधुर स्मृति में बहुत ही लाजवाब रचना...
सस्नेह आभार प्रिय सुधा दी जी
हटाएंसादर स्नेह
बहुत सुंदर रचना अनु..भाव बहुत अच्छे है।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दी जी
हटाएंसादर स्नेह
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,चंद्र शेखर जैसे हों भाई,
जवाब देंहटाएंहिंद देश में कह सिंधु से स्नेह का ऐसा सागर भरवा दे |
राखी भी और राष्ट्रप्रेम की भावना भी सृजनात्मकता ऐसी जैसे- गागर में सागर.. अप्रतिम भावों से सुसज्जित रचना ।
सस्नेह आभार प्रिय मीना दी जी
हटाएंसादर स्नेह
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
अनीता जी, भगवान आपकी प्रार्थना सुन लें, बस, यही कामना है. लेकिन हम ख़ुद भी कुछ देश के लिए करें, यह सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.
जवाब देंहटाएंसार्थक टिप्णी सर
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना प्रिय अनीता जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दी
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -8 -2020 ) को "कृष्ण तुम पर क्या लिखूं!" (चर्चा अंक 3790) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
आपकी लिखी रचना सोमवार 15 अगस्त 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत सुन्दर….जय हो🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर….जय हो🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जवाब देंहटाएंहर दिन सम्माननीय वीर हुतात्माओं के लिए, देश के लिए, स्वतंत्रता के लिए अनुराग जगाती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक और सुन्दर आह्वान अनीता जी
जवाब देंहटाएंआज़ादी का पर्व.. सुंदर सराहनीय रचना।
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