नाज़ुक तन वक़्त के थपेड़ों से न थर्राया,
देखो ! प्रति पल और निखरता गया,
मीरा पर भी हुआ था कुंठाओं का कुठाराघात,
देखो ! ता-उम्र बाँटती रही प्रीत और प्रेम अमर होता गया |
चरित्र-हत्याओं का विस्तार विचारणीय हुआ अब,
देखो ! बात स्त्री पुरुष की नहीं
यहाँ हनन जीवन मूल्यों का होता गया,
मानवता की महक़ से महकी फ़ज़ा
और उड़ी इंसानियत की खुशबू,
देखो ! ईसू के त्याग को हर दौर में पहचाना गया |
कलयुग में कुंठा का कसैलापन,
देखो ! हृदय को करता द्रवित और वक़्त को निगलता गया,
त्यागी गयी सीता का महसूस हुआ दर्द ,
जीवन के हर फेर में नारीत्व को सजाती गयी ,
देखो ! अहिल्या का सतीत्व समय के बहाव में और निखरता गया |
लाँछन न समझो जीवन में मिली अवेहलना को,
देखो !अवगुणों के थे वे सूखे पत्ते समय के साथ झड़ते गये,
बुद्ध ने त्यागा वैभव जली यशोधरा जीवनपर्यंत ,
देखो ! त्याग की बने दोनों मिशाल हमें धैर्य का पाठ पढ़ाते गये |
- अनीता सैनी
लाँछन न समझो जीवन में मिली अवेहलना को,
जवाब देंहटाएंदेखो!
अवगुणों के थे वे सूखे पत्ते समय के साथ झड़ते गये,
जीवन सार
उम्दा भावाभिव्यक्ति
तहे दिल से आभार दी जी |आप का अपार स्नेह यूँ ही बना रहे
हटाएंसादर
बहुत बहुत सुंदर और सार्थक सृजन हर पंक्ति एक संदेश देती ।
जवाब देंहटाएंअनुपम।
तहे दिल से आभार प्रिय दी जी |आप का सानिध्य हमेशा यूँ ही बना रहे
हटाएंसादर स्नेह
प्रणाम
सचमुच चरित्रहनन से बढ़ कर कोई कुकृत्य नहीं ,खासकर यदि कोई अपनी सफाई में
जवाब देंहटाएंकुछ कहने के लिए उपस्थित ना हो । ये ईश्वर की दृष्टि मे। अक्षम्य पाप तो कानूनन बहुत बड़ा अपराध है। अच्छा सार्थक लिखा आपने।
सस्नेह आभार दी जी
हटाएंसादर
हर शब्द अपने आप में सार्थक संदेश देता..गहन चिन्तन के साथ उत्कर्ष भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
हटाएंसादर
सार्थक गवेषणा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंप्रणाम
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
25/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
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धन्यवाद
बहुत बहुत सुक्रिया सर
हटाएंसादर
लाँछन न समझो जीवन में मिली अवेहलना को,
जवाब देंहटाएंदेखो !अवगुणों के थे वे सूखे पत्ते समय के साथ झड़ते गये,
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर सार्थक जीवन का सार बताती लाजवाब प्रस्तुति।
सस्नेह आभार दी जी
हटाएंसादर स्नेह
बहुत सुंदर और सार्थक रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
हटाएंसादर
बहुत ही सार्थक और सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार दी जी
हटाएंसादर
वाह!प्रिय सखी ,बहुत ही उम्दा और सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
हरिः ॐ तत्सत्
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यति नारी विमर्श पर
सदर नमन
आचार्य प्रताप
प्रबंध निदेशक
अक्षर वाणी संस्कृत सामाचार पत्रम