शुक्रवार, अगस्त 9

प्रभात की पहली किरण



 प्रभात  की  पहली  किरण  ने,
कुछ  राज़  वफ़ा  का  सीने  में  यूँ  छिपा  लिया, 
 पहना  हिम्मत  की  पायल  पैरों  में, 
हृदय  में  दीप  विश्वास  का  जला दिया,
और चुपके से कहा !
 घनघोर बादल आकाँक्षा के,
उमड़ेंगे  चित्त पर ,
विचलित करेगी वक़्त की आँधी, 
तुम  इंतज़ार  मेरा   करना।

हम  फिर  मिलेगें  उस राह पर, 
हमदम  बन  हमसफ़र  की तरह,
होगा  सपनों  का आशियाना 
गूँथेंगे  एक  नया  सवेरा।

कुछ खेल क़ुदरत का यूँ रहा ,
तसव्वुर में एक महल यूँ ढ़हा, 
इन बैरी बादलों  ने  छिपाया ,
मासूम मन मोहक मुखड़ा उसका।

नज़र आती थी वह खिड़की में, 
 फिर वहाँ ख़ामोशी का हुआ बसेरा ,
छूकर   फिर  लौट  जाना ,
मेरी मासूम मुस्कुराहट पर,
मुस्कुराते  हुए  लौट आना ।

कुछ पल ठहर उलझा उलझन भरी बातों में, 
फिर लौट आने की उम्मीद थमा हाथों में,
धीरे-धीरे बादलों के उस छोर पर बिखर,
फिर सिसकते हुए  सिमट जाना, 
मेरे चकोर-से चित्त को यूँ समझाते हुए जाना।

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

19 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरती से भावों को शब्दों में पिरोया है ...बहुत सुन्दर सृजन !

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    1. सस्नेह आभार दी उत्साहवर्धन समीक्षा के लिए
      सादर

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  2. मनभावन भावों का खूबसूरत चित्रण।

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  3. अति सुंदर रचना सखी।

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  4. "पहना हिम्मत की पायल पैरों में ,
    हृदय में दीप विश्वास का जला दिया,"
    बहुत प्यारे बिम्ब हैं। आप अतुलनीय लिखीं हैं।

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय उत्साहवर्धन समीक्षा के लिए
      सादर

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  5. प्रकृति का सानिध्य कल्पनालोक में अदभुत रंग भरता है. बिम्बों और प्रतीकों में निहित अंतरकथा मर्मस्पर्शी है. ऐसी रचनाओं का सृजन प्रकृति के सुकुमार कवि पंत का अनायास स्मरण कराता है.
    लिखते रहिए.
    बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय शब्द नहीं है किन शब्दों में आप की समीक्षा की समीक्षा करूँ. . |
      आभार
      सादर

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  6. हम फिर मिलेगें उस राह पर,
    हमदम बन हमसफ़र की तरह,
    होगा सपनों का आशियाना
    गूँथेंगे एक नया सवेरा |बेहद खूबसूरत रचना सखी

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
      सादर

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