असबाब लादे रौबीले तन पर,
यायावर मुस्कुराहट को मात दे गया,
सजा सितारे शान से सीने पर,
सपनों का सौदागर सादगी में सिमटता-सा गया |
आसमां की छत्रछाया उसका मन मोह गयी,
देह को उसकी मटमैला लिबास भा गया,
नींद कब कोमल बिछौना माँगती है,
यह सोच वह धरा के आँचल में लिपटता-सा गया |
अहर्निश उड़ान को आतुर हृदय,
परिंदों के डैंनों-सी उल्लासित बाहों में,
गर्बिला जोश उफनता-सा गया,
जुगनू-सी चमकती उम्मीद नयन में,
पथराये दुःख की तरह क़ाबिज़ उनकी आँखों में न था,
क़दम-दर-क़दम उल्लासित मन सफ़र मापता-सा गया |
परवाह में बेपरवाह-सी सजी ज़िंदगी,
देख वैराग्य का कलेजा पसीज-सा गया,
पड़ाव आँखों में उभर आया तुम्हारा,
यह देख ठिकाना हमारा ठिठुरता-सा गया |
नसीब के पत्ते बहुत फड़फड़ाये,
ठाँव और गाँव बाँध न पाये पाँव तुम्हारे,
यह देख वक़्त अँजुली से हमारे रिसता-सा गया,
समय के रथ पर हो सवार,
यायावर-सा जीवन तुम्हारा,
राह नापने में आहिस्ता-आहिस्ता गुज़रता-सा गया |
- अनीता सैनी
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
सादर आभार दी इतनी सुन्दर सराहना के लिये |
हटाएंरचना अब और भी ख़ूबसूरत लगने लगी है आपकी बेहतरीन टिप्पणी जुड़ने के बाद |
आपका स्नेह यों ही मिलता रहे सदा ढेर सारा...
परवाह में बेपरवाह-सी सजी ज़िंदगी,
जवाब देंहटाएंदेख वैराग्य का कलेजा पसीज गया,
पड़ाव आँखों में उभर आया तुम्हारा,
यह देख ठिकाना हमारा ठिठुरता-सा गया |
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,सादर
सस्नेह आभार बहन सुन्दर समीक्षा से रचना को प्रवाह प्रदान करने के लिए |
हटाएंसादर
लाज़वाब अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर नमन सर
हटाएंआपकी टिप्पणी ने रचना का मान बढ़ाया है, बहुत बहुत शुक्रिया आप का
सादर
नसीब के पत्ते बहुत फड़फड़ाये,
जवाब देंहटाएंठाँव और गाँव बाँध न पाये पाँव तुम्हारे,
समय के रथ पर हो सवार,
यायावर-सा जीवन तुम्हारा,
राह नापने में आहिस्ता-आहिस्ता गुज़रता-सा गया |
इस यायावर पर राष्ट्र को गर्व है प्रिय अनीता| सीने पर सितारे लिए ये सीमाप्रहरी देश का गौरव हैं |
नींद कब कोमल बिछौना माँगती है, ------- बहुत ही सार्थक सत्य !!!!!!!
सादर आभार प्रिय रेणु दी
हटाएंआपकी दिल खोलकर मेरे ब्लॉग पर लिखी गयीं टिप्पणियों ने मुझे और मेरे लेखन को सकारात्मक दिशा दिखायी है| अब तो आपकी टिप्पणी के अभाव में मुझे अपनी रचना अधूरी नज़र आती है|
अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखें दी यों ही|
सादर
जीवन के खूबसूरत एहसास को बयान करती शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा के लिए
हटाएंसादर
वाह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत खूब सजाया है एक प्रहरी के एहसास को |बहुत सुन्दर कविता डिअर
जवाब देंहटाएंWhat words of gratitude have you always stood by me, holding us in our hands,I am alone today.
हटाएंअहर्निश उड़ान को आतुर हृदय,
जवाब देंहटाएंपरिंदों के डैंनों-सी उल्लासित बाहों में,
गर्बिला जोश उफनता-सा गया,
जुगनू-सी चमकती उम्मीद नयन में,
पथराये दुःख की तरह क़ाबिज़ उनकी आँखों में न था,
क़दम-दर-क़दम उल्लासित मन सफ़र मापता-सा गया |... पूरा का पूरा बहुत अच्छा लिखा है अनीता जी
बहुत- बहुत आभार दी रचना की मनभावन समीक्षा के लिये |
हटाएंआपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा बनी रहती है मुझे |
सादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.9.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3470 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
एक रक्षक देश रक्षा हित और सभी संवेदनाओं को परे हटा कैसे प्रतिबंध रहता है देश के प्रति, ये आपने बहुत सुंदरता से दर्शाया है, अपनी रचना में।
जवाब देंहटाएंइस सत्य को अपने नजदीकी से देखा और परखा भी ।
उच्च भावों वाली आदर्श रचना ।
अनुपम।
सादर आभार प्रिय कुसुम दी |
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया ने मेरी रचना का मर्म अब और ज़्यादा स्पष्ट कर दिया है नि:शब्द हूँ आपकी सुन्दर समीक्षा से
अपना स्नेह एवं आशीर्वाद बनाये रखियेगा |
वाह!
जवाब देंहटाएंयायावर का जीवन विविधताओं और विचित्रताओं का अदभुत समागम होता है जिसमें जीवन को पूरे पैमाने पर विस्तार पाने की असीम उत्कंठा समायी होती है.
सृष्टि की अनजानी ख़ूबियों को जानने की उत्कट अभिलाषा यायावर को अनवरत ऊर्जा से भरती रहती है.
बहुत सुन्दर रचना.
बधाई एवं शुभकामनाएँ.
लिखते रहिए.
सादर आभार सर
हटाएंबहुत-बहुत शुक्रिया आपका रचना की सटीक व्याख्या करती विस्तृत टिप्पणी के लिये
आपका मार्गदर्शन, स्नेह और आशीर्वाद सदैव मिलता रहे, आपकी टिप्पणी किसी भी रचना की शोभा बन सकती है क्योंकि उसमें साहित्यिक मानदंडों का सार भरा होता है
सादर आभार आदरणीय
अत्यंत सुन्दर .. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति । भाषा सौष्ठव भी बहुत उत्तम ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार मीना दी रचना की शोभा बढ़ाती सुन्दर प्रतिक्रिया के लिये
हटाएंआपका सहयोग और समर्थन सदैव मेरे साथ बना रहे
सादर
बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार दी
हटाएंसादर
परवाह में बेपरवाह-सी सजी ज़िंदगी,
जवाब देंहटाएंदेख वैराग्य का कलेजा पसीज-सा गया,
पड़ाव आँखों में उभर आया तुम्हारा,
यह देख ठिकाना हमारा ठिठुरता-सा गया |
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखी
सस्नेह आभार दी
हटाएंसादर