हारे नहीं,
हौंसले अर्थ-व्यवस्था के,
प्रति पल हुँकार भरेंगे,
वे सजग हो भारी,
शतदल के सुनहरे दल बनकर,
उभरेंगे शक्तिपुंज से,
जिस हाथ होगा हथौड़ा,
जिनके हल चलेंगे ,
उसी पेट को रोटी मिलेंगी,
उन्हीं खेतों में फल मिलेंगे,
बरसेंगीं ख़ुशियाँ उसी आँगन में,
पेड़ हरे होंगे उसी बाग़ के,
उसी के कर्म कुंदन बनेंगे,
उसी माथे पर बल उभरेंगे,
वक़्त के तराज़ू में,
समता के दृग दोनों तुलेंगे,
तभी तपता गगन सुख-समृद्धि के,
घन से घिरेगा |
सुंदर सुमन सुरसरी-सा होगा,
संसार सलोना,
सहज सुलभ सफल होंगे,
सब काज,
ऐसे साज़ सजेंगे पथ पर,
न तपेगा तन मन की तेज़ तपिश से,
सहेजेंगे सानिध्य सफ़र में,
ऐसे सनातन जीवनसाथी होंगे,
फ़ज़ा में न होगी वाक-भ्रान्ति,
कर्म पर तभी गिरेगी प्रीत की गाज,
बन्धुत्त्व की कोंपलों की बनेंगी कलंगी ,
मानस मुकुट सुमन-सा सुन्दर,
सजेगा सीस पर,
उन्हीं पौधों पर प्रीत का,
रस झरेगा |
शतदल-सा होगा,
संसार सलोना,
हिम-गिरि-सा होगा,
शीतल शाँत चित्त,
पनपेगी प्रीत पग-पग पर,
हो जैसे जूही की कली खिली,
भूतल पर न होगी तक़रार,
गगन के नयनों में न नमी बढ़ेगी ,
भाव बहेंगे पत्तों-सी पतवार पर,
मुग्ध होगी,
मधुर धुन में मानवता सारी,
प्रयास प्रति पल महकेंगे,
पवन के झोंकों से,
तब मुस्कुरायेगा,
प्रति प्रभात का पावन चेहरा |
# अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (12-09-2019) को "शतदल-सा संसार सलोना" (चर्चा अंक- 3456) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर मुझे स्थान देने के लिए |
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सुंदर सुमन-सा,
जवाब देंहटाएंसुरसरी-सा हो संसार सलोना,
सहज सुलभ सफल सब,
जीवन साज़ सजे पथ पर,
ताके न राह क्षणिक भी, सद्भावनाओं से भरा सुंदर सृजन प्रिय अनीता | अनुप्रास का प्रयोग बहुत सराहनीय है | सस्नेह शुभकामनायें |
तहे दिल से आभार आदरणीया रेणु दी जी|
हटाएंआप की समीक्षा हमेशा ही बेहतरीन व रचना की आत्म होती है मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आप का
सादर
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का
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सहेजे सानिध्य सफ़र में,
जवाब देंहटाएंसनातन साथी हो ऐसा,
भरा दौंगरा गिरे काया पर,
मानव की मेहनत पीड़ा हरे , बेहतरीन रचना सखी
बहुत बहुत शुक्रिया दी आप का
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वाह!सखी ,बहुत खूबसूरत भावों से भरी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया प्रिय सखी
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वाह ... सुन्दर सृजन ...
जवाब देंहटाएंमन के भावों को अच्छे शब्दों में बाँधा है ...
सहृदय आभार आदरणीय आप का
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बहुत बहुत शुक्रिया अनुज उत्साहवर्धन समीक्षा के लिए
जवाब देंहटाएंसादर
शतदल-से मोहक सुकोमल भाव देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत से जुड़कर एक सकारात्मक पहल से प्रतीत होते हैं.
जवाब देंहटाएंसमस्या से उपजी खीझ को भी सकारात्मक प्रयासों से राहत के मरहम में बदला जा सकता है यदि देश में सभी नागरिक अपना-अपना दायित्व शिद्दत से निभायें.
बड़ी सुन्दर रचना है जो आम नागरिक के ग़ुस्से की दिशा बदलने का सार्थक यत्न करती-सी लगती है.
बधाई एवं शुभकामनाएँ.
सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन समीक्षा हेतु |आप का मार्गदर्शन हमेशा ही सराहना से परे रहते है |नव रचनाकारों को ब्लॉग की दुनिया में अपनी जगह बनाने में आप का सहयोग सराहनीय है |अभिभावक की तरह मेरा सहयोग करने हेतु आप का तहे दिल से आभार आदरणीय रवीन्द्र जी |शुप्रभात
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