हम समझते हैं उन नियमों को,
जिन्हें भारत सरकार ने जनहित में जारी किया,
न ही हम किसी पार्टी विशेष को सपोर्ट कर रहे,
न ही बग़ावत कर रहे उन लोगों से जो,
इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं,
नये मोटर व्हीकल क़ानून का आख़िर विरोध क्यों ?
कहाँ ख़ामी नज़र आयी हमें ?
क्या ट्रैफिक-पुलिस की
रेड-लाइट जंप करना ज़रुरी है ?
रेड-लाइट जंप करना ज़रुरी है ?
क्या प्रतिबंधित क्षेत्र में गाड़ी पार्क करना?
या सही तरीक़े से गाड़ी पार्क नहीं करना,
टूवीलर ड्राइविंग के दौरान हेलमेट नहीं पहनना,
कार ड्राइविंग के दौरान सीट बेल्ट नहीं लगाना,
कार ड्राइविंग के दौरान सीट बेल्ट नहीं लगाना,
नंबर प्लेट नियमानुसार नहीं होने,
बिना लयसेंस गाड़ी चलाने,
बिना रजिस्ट्रेशन गाड़ी चलाने,
इंसोरेंस और प्रदूषण जाँच के दस्तावेज़ नहीं होने पर,
या मोटर व्हीकल एक्ट में वाहन चालकों के लिये
जारी अन्य मानक पूरा नहीं करने पर,
वह चालान कर सकती है,
क्या यह ग़लत है,
अगर हम बिना ड्राइविंग लायसेंस,
रजिस्ट्रेशन और परमिट के वाहन चला रहे हैं,
उसी वक़्त पुलिस हमारे वाहन को मौक़े पर ज़ब्त, करती,
क्या यह ग़लत है ?
अगर हम नशे में गाड़ी चला रहे हैं,
मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चला रहे हैं,
ओवर लोडिंग कर रहे हैं,
या फिर रेड-लाइट जम्प करके भाग रहे हैं,
तब पुलिस हमारे ड्राइविंग लायसेंस को सीज़ करती,
क्या यह हमारे साथ ग़लत हो रहा है ?
क्या दुर्घटनाओं से हो रही हमारी रक्षा,
या हमें सभ्य नागरिक बनाने की सरकारी बाध्यता,
क्या यह ग़लत है ?
यातायात नियमों में अनुशासन आने से,
दुर्घटनाएँ नियंत्रित होंगीं,
किसी घर में बेवजह माँएं न रोंएँगीं,
देश में सभ्य नागरिकों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा,
तब बुरी ख़बर का न कोई लिफ़ाफ़ा होगा,
क्या यह ग़लत है ?
क्या दुर्घटनाओं से हो रही हमारी रक्षा,
या हमें सभ्य नागरिक बनाने की सरकारी बाध्यता,
क्या यह ग़लत है ?
यातायात नियमों में अनुशासन आने से,
दुर्घटनाएँ नियंत्रित होंगीं,
किसी घर में बेवजह माँएं न रोंएँगीं,
देश में सभ्य नागरिकों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा,
तब बुरी ख़बर का न कोई लिफ़ाफ़ा होगा,
क्या यह ग़लत है ?
#अनीता सैनी
बिल्कुल सही कहा सखी, हमारे देश में
जवाब देंहटाएंनियमों का पालन यदि उचित रूप से हो,
लोग इनके महत्त्व को समझें तो देशवासियों का ही भला होगा, लेकिन यहां तो नियम का पालन तो दूर ,उसके
विरोध की प्रक्रिया अपनाई जाती है या फिर उसका तोड़ ढूंढा जाता है।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया दी जी
हटाएंसादर
कुछ भी गलत नहीं
जवाब देंहटाएंसड़कें दुरस्त करना भी गलत नहीं
वाह !दी जी आप के जवाब का भी जवाब नहीं लाज़बाब
हटाएंसड़कें दुरस्त करना भी ग़लत नहीं|सबसे बड़ी समस्या यही है
प्रणाम
सादर
सही नियमों के महत्व को समझने की कोशिश ही कहाँ की जाती है,नियम बने तो पहले विरोध होता है, दुर्घटना घटी तो प्रशासन की गलती। बेहतरीन प्रस्तुति सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
नये मोटर व्हीकल एक्ट के पक्ष में आपने जो बातें जनता के सामने रखीं हैं उनसे देश के अधिकाँश नागरिक सहमत होंगे किन्तु 63 नये प्रावधानों के साथ आया यह एक्ट सिर्फ़ एक बिंदु पर जनता के भारी विरोध को झेल रहा है वह है पेनल्टी की रकम में अप्रत्याशित कई गुना वृद्धि। सरकार का कहना है कि यह वृद्धि समय के अनुसार जाएज़ है क्योंकि पिछले कई वर्षों से अर्थ दंड की राशि पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी।
जवाब देंहटाएंमैं इस एक्ट का समर्थन करता हूँ किन्तु अर्थ दंड की राशि पर गंभीर सवाल उठाते हुए। क्योंकि यह संभव है भारत में कि देश के सभी नागरिक यातायात क़ानून से वाक़िफ़ नहीं हो सकते अतः ग़लतियों की संभावना निरंतर बनी रहेगी ऐसे में इस नए एक्ट का शिकार अनपढ़ और ग़रीब तबक़ा ही सर्वाधिक होने वाला है।
4 राज्यों पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान ने इस एक्ट को लागू करने से मना किया है। कारण इस एक्ट के ज़ुर्माने की राशि के अव्यवहारिक पहलू।आपके पास अर्थ दंड तय करने का क्या तर्कशील फ़ॉर्मूला है जिस देश में करोड़ों नागरिक एक वक़्त का भोजन न मिलने पर भूखे पेट सोते हैं। समाज के चमकीले वर्ग के लिये सुविधाओं,नीतियों और साधनों का विकास सरकारी बेशर्मी है जिसका मैं हमेशा विरोध करूँगा। यह स्थिति देश के संघीय ढाँचे के लिये अनुकूल नहीं बल्कि यह तो जनता पर थोपा गया तानाशाहीपूर्ण रबैया है।
आदरणीय रविंद्र जी, सुन्दर समीक्षा के लिए तहे दिल से आभार आप का |
हटाएंआप के पक्ष और विपक्ष दोनों भाव पढ़े बहुत अच्छा लगा | आप की आवाज़ सरकार तक पहुँचे यही दुआ करती हूँ |आम जन का दर्द आप की भावनाओं में झलक रहा है |परन्तु यहाँ मैं अपना विचार रखना चाहती हूँ |क्या उन लोगों को अब जागरूक नहीं होना चाहिये जो इस एक्ट के बारे में नहीं जानते क्या अब उन्हें शिक्षित नहीं होना चाहिये | कब तक ग़रीबी की दुहाई देते फिरेंगे | मेरा सवाल उन माता-पिता से है जो छोटी उम्र में ही अपने बच्चों के हाथों व्हीकल थमा देते और वह हादसों का शिकार हो जाते है | पेरेंट्स के ख़िलाफ़ हार्ड क़दम उठाना चाहिये था |रही बात पे फाइन की जिसके पास व्हीकल है मेरा मंतव्य उसे जागरूक होना चाहिये | उन्हें नियमों को फॉलो करना चाहिये और अपना बचाव इसी में तलाशना चाहिये | में हमेशा से ग़रीब पक्ष के साथ थी और रहूँगी परन्तु अब उन्हें जागरूक होना होगा | कब तक वह अपने आप को ग़रीब कहते रहेगें |जो ग़लत है हम सरकार से उस की डिमांड करेगें |
बहुत अच्छा लगा आपने अपना सार्थक शब्द यहाँ रखें हमेशा आप की आभारी रहूँगी |
प्रणाम
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-09-2019) को "सोच अरे नादान" (चर्चा अंक- 3453) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
हटाएंप्रणाम
सादर
"भय बिनु होइ न प्रीति"
जवाब देंहटाएंबिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब "भय बिनु होइ न प्रीति "॥
तीन दिन प्रभु राम विनय पूर्वक समुद्र को राह देने के लिए प्रार्थना करते रहे पर समुद्र ने राह नहीं दी तब उन्होंने समुद्र को सोखने के लिए बाण उठाया बोले जड़ समुद्र विनय से नहीं मानता।
तब श्री रामजी क्रोध सहित बोले- बिना भय के प्रीति नहीं होती ।
नये मोटर व्हीकल एक्ट में माना
पेनल्टी की रकम बहुत ज्यादा है एक गरीब और विकासशील देश के नागरिकों के लिए ये बहुत भारी है ..तो कुछ प्रश्न उठते हैं लापरवाही क्यों करता है वो आम नागरिक जिससे खुद के साथ दूसरों की जान दांव पर लगती है ,वो कितना भी अनपढ़ हो किसी भी कानून को खासकर ट्रेफिक के कानून हर नागरिक को समझना बहुत जरूरी है अगर वो वाहन लेकर निकलता है तो ..
सड़क पर वाहन चालक और पैदल चलने वाले भी मोबाइल में इतने मस्त हो जाते हैं कि जैसे
अमर होकर आए हैं।
आखिर वो कब तक यातायात क़ानून से वाक़िफ़ नहीं होगा...
क्योंकि वो पचास सौ देकर छूट रहा है,
वो ट्रेफिक पुलिस को कुछ ले-देकर छुट रहा है ,
क्या वह हमेशा लापरवाही करता रहेगा ?
नहीं जब इतनी बड़ी रकम देनी पड़ेगी तो जरूर समझने की कोशिश करेगा ।
हां बहुत बार ऐसी गलतियां सावधानी रखते हुवे भी होती है क्योंकि भारत में सिग्नल डिस्टेंस बहुत कम होती है ।
पर मुझे फिर भी यह पेनाल्टी रकम बहुत ज्यादा लग रही है।
हालांकि दूसरे विकासशील देशों के हिसाब से ज्यादा नहीं है ।
पर अगर इस भय से नियम मानने लगे तो शायद सड़क दुर्घटनाएं काफी नियन्त्रण में आ जायेगी ।
वाह ! दी जी गागर में सागर है में समझ न पायी...
हटाएंलाज़बाब समीक्षा के लिये तहे दिल से आभार आप का
दी जी कुछ फ़ायदे भी है तो कुछ खामिया भी लेकिन क़दम तो उठाना ही पड़ेगा |कब तक नासमझ बन घूमते रहेगें |रही बात पेलेंटी की तो कम्प्लीट डॉक्योमैंट रखने का प्रयास करें |
पता है रकम ज्यादा है फिर भी जनता कहा मानने वाली है आये दिन हो रहे हादसे... दिल दहल जाता है बच्चों के हाथ में बाइक देख पसीज़ जाता है मन... डर जरुरी है |
आभार दी जी
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन हेतु
हटाएंसादर
सही कहा अनीता जी !नियम तो मानने होंगे....कुसुम जी से सहमत हूँ "भय बिनु होय न प्रीत " हाँ! पैनेल्टी की रकम ज्यादा है ज्यादा नहीं थी तो सुधार की गुंजाइश ही कहाँ थी...सरकार जानती है कि जनता को ज्यादती से ही बदला जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंसमसामयिक मुद्दे पर लाजवाब सृजन...
आदरणीया सुधा दी जी |
हटाएंसादर प्रणाम 🙏
नये मोटर व्हीकल क़ानून को लेकर मन में कुछ सवाल थे, जो जनता के सामने रखना चाहती थी|आप ने भी खुले दिल से स्वीकार किया बहुत अच्छा लगा |सभी के सवाल जबाब अपनी अपनी जगह जायज़ है, कुछ लोगों को जानकारी नहीं थी उन्हें परेशानी भी हुई और भविष्य में उठानी भी पड़ेगी परन्तु जागरूकता भी जरुरी है|रही चालान कि राशि ज्यादा होना,जागरूकता के साथ पुलिस वालों का सामना करें, अपने अंदर का आत्मविश्वास जगाना होगा |हर सार्थक क़दम पर सरकार का साथ दें |सायद भविष्य बेहतरीन हो|
आप की उत्साहवर्धन समीक्षा मिली बहुत अच्छा लगा
तहे दिल से आभार आप का
सादर
सुन्दर रचना है आपकी और तथ्य भी सटीक हैं ! कानून उल्लंघन पर बढ़ी जुर्माने की राशि के भी पक्ष में हूँ !
जवाब देंहटाएंबहुत आसान उपाय है कि आपको दंड की राशि ना भरनी पड़े : नियमों का उलंघन ना करें !
मैं रविंद्र सिंह जी की बात से भी थोड़ा सहमत हूँ कि कई बार अनजाने में कानून की अवज्ञा हो जाती है | हालाँकि यह सही है "Ignorance of law is no excuse.फिर भी मेरा एक सुझाव है : टेक्नोलॉजी के युग में ड्राइविंग लाइसेंस को आधार से जोड़ कर जुर्माने का प्रावधान बनाया जा सकता है ! पहली अवज्ञा , दूसरी अवज्ञा और तीसरी अवज्ञा पर बढ़ती हुवी राशि का जुर्माना लगाया जाय ! हर एक जुर्म पर ना भी हो तो कुछ विशेष उल्लंघन पर लागू किया जा सकता है , जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अधिकतम ही जुरमाना हो और पार्किंग उल्लंघन पर क्रमबद्ध !