एक नन्हा-सा पौधा तुलसी का,
पनपा मेरे मन के एक कोने में,
प्रार्थना-सा प्रति दिन लहराता,
सुकोमल साँसों का करता दान
सतत प्राणवायु बहाता आँगन में
संताप हरण करता हृदय का,
संतोष का सुखद एहसास सजा,
पीड़ा को पल में हरता वह हर बार |
मूल में मिला मुझे इसके अमूल्य सुख का,
सुन्दर सहज सुकोमल सार,
पल-पल सींच रही साँसों से,
मन की मिट्टी में बहायी स्नेह की स्निग्ध-धार |
नमी नेह की न्यौछावर की,
अँकुरित हुए पात प्रीत के,
करुण वेदना सहकर बलवती हुआ,
मन-आँगन में वह पौधा हर बार |
मनमोही मन मुग्धकर लहराता,
पागल पवन के हल्के झोंकों संग,
तब मुखरित हरित देव ने पहनाया,
प्रेम से पनीले पत्तों का सुन्दर हार |
खनका ख़ुशी का ख़ज़ाना आँगन में,
खिली चंचल धूप अंतरमन में,
चित्त ने किया सुन्दर शृंगार,
महका मन का कोना-कोना,
तुलसी का पौधा लहराया जब मन में हर बार |
© अनीता सैनी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 03 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय पाँच लिंकों पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
नमी नेह की न्यौछावर की,
जवाब देंहटाएंअँकुरित हुए पात प्रीत के,
करुण वेदना सहकर बलवती हुआ,
मन-आँगन में वह पौधा हर बार |
प्रिय अनीता , तुलसी के बहाने से प्रेम के स्नेहिल उद्गारों की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है , जिसके लिए मेरी शुभकामनायें - कुछ भाव मेरे भी ------------
तुलसी तले दो सांध्यदीप
याद तुम्हारी ले आते हैं
दो प्रेमदीप्त नयन तुम्हारे तब
सुधियों में छा जाते हैं
मैं तुलसीवन सी महक जाती
तुम आ जाते कान्हा बनकर
मेरी प्रार्थना के मौन स्वर्
तुमसे लिपट संग जाते हैं !
सस्नेह
बहुत सारा आभार रेणु दी
हटाएंतुलसी का नन्हा-सा पौधा प्रकृति का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतीक है जो भारतीय जीवन शैली का गौरव है|प्रकृति को जीवन में आत्मसात करना मूल्यों की स्थापना की ओर बढ़ना है | प्रकृति का सानिध्य जीव जगत के लिये उपहार से कम नहीं है |
बहुत अच्छा लगा दी आपकी स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया पढ़कर|
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-10-2019) को "नन्हा-सा पौधा तुलसी का" (चर्चा अंक- 3478) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
मूल में मिला मुझे अमूल्य सुख का,
जवाब देंहटाएंसुन्दर सहज सुकोमल सार,
पल-पल सींच रही साँसों से,
मन की मिट्टी में बहायी स्नेह की स्निग्ध-धार |
तुलसी पर सृजन...अद्भुत.. मुझे बेहद प्रिय है तुलसी जी का स्वरूप.. मन मोह लिया इस रचना ने..
प्रिय मीना दी तुलसी के मूल में गहराई तक सार्थक अर्थ छिपे हैं अब यह हम पर है कि हम उनको कितना समझ और अपने जीवन में उतार पाते हैं |
हटाएंबहुत- बहुत आभार दी सार्थक और सुन्दर समीक्षा के लिएl |
मन की कोमल तम भावनाएं जब भी मुखरित होती है स्नेह का अमृत लेकर ,तब-तब विश्व कल्याण के भाव सर्वोच्च मुखी होते हैं तुलसी की पौध जैसे, गुणकारी ,पावन और पीड़ा निवारक।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर रचना अभिनव,
मनहर।
सच दी आपकी इस समीक्षा ने मुझे गहराई से सोचने पर विवश किया है|एक मनभावन प्रतिक्रिया जिसने रचना का मान बढ़ा दिया है |
हटाएंआपका स्नेह यों ही बना रहे मुझ पर
सादर आभार कुसुम दी जी
प्रेम की खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय
हटाएंसादर
तुलसी प्रकृति का अनमोल उपहार है इसमें निहित गुणों और चारित्रिक विशेषताओं की प्रेरणा को आत्मसात कर जीवन की दिशा और दशा में सकारात्मक बदलाव संभव है।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित और सुंदर सृजन अनु।
सादर आभार प्रिय श्वेता दी रचना की समीक्षा करती मोहक प्रतिक्रिया के लिये | ब्लॉग जगत में आपका स्नेह और साथ पाकर बहुत ख़ुश हूँ |
हटाएंसादर
ममतामयी तुलसी माँ दुःख-संताप हरने वाली हैं और हमारे जीवन में शुद्धता लाने वाली हैं. स्वयं तुलसी माँ के लिए शुद्धता इतनी आवश्यक है कि उसके बिना वो मुरझा जाती हैं.
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम सर
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया ने रचना के मर्म को सरल करते हुए पाठकों को समझने में साहित्यिक सहूलियत उपलब्ध करायी है
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय आप का
सादर
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी पम्मी जी
हटाएंसादर
ख़ुशी का ख़ज़ाना खनका आँगन में,
जवाब देंहटाएंखिली कच्ची चंचल धूप अंतरमन में,
खिलखिलाया मन का कोना-कोना,
चित्त ने किया सुन्दर शृंगार जब-जब,
लहराया तुलसी का पौधा मन में हर बार |बहुत खूबसूरत रचना प्रिय अनिता जी
सस्नेह आभार प्रिय बहना
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर अनीता जी ,सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय बहना
हटाएंसादर