अपने ही दायरे में सिकुड़ रही अभिव्यक्ति,
पनीली कर सकूँ ऐसा नीर कहाँ से लाऊँ ?
कविता सृजन की आवाज़ है चिरकाल तक जले,
कवि हृदय में वो अगन कैसे लजाऊँ ?
समझा पाऊँ शोषण की परिभाषा,
ऐसा तर्क कहाँ से लाऊँ ?
स्वार्थ के लबादे में लिपटा है इंसान,
जगा सकूँ इंसानियत को वो परवाज़ कहाँ से लाऊँ ?
सत्ता-शक्ति का उभरता लालच,
राजनीति की नई परिभाषा जनमानस को कैसे समझाऊँ ?
शक्ति प्रदर्शन कहूँ या देश के भविष्य पर डंडों से करते बर्बर वार,
मरघट बनी है दुनिया इसे होश में कैसे लाऊँ ?
हैवानियत की इंतिहा हो चुकी,
इंसानियत की बदलती तस्वीर कैसे दिखाऊँ ?
मर रहा मर्म मानवीय मूल्यों का,
स्वार्थ के खरपतवार को कैसे जलाऊँ ?
अंजुरी भर पीने को भटकता है समाज,
परमार्थ की शरद चांदनी को,
सिहरती सिसकती मासूम बालाओं के मुख पर
वो नैसर्गिक मुस्कान कैसे लाऊँ ?
© अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को "गठबन्धन की नाव" (चर्चा अंक- 3518) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मुझे स्थान देने के लिये.
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बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंमन के गहरे जज्बात/छुब्धता को शब्द देने का सार्थक प्रयास है ये राचना ... समाज का आइना उतारा है ...
सादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना पर सारगर्भित प्रतिक्रिया के साथ मर्म स्पष्ट करने के लिये। आपकी प्रतिक्रिया ने रचना का मान बढ़ाया है।
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बहुत ही प्रभावशाली पंक्ति-
जवाब देंहटाएं"समझा पाऊँ शोषण की परिभाषा,
ऐसा तर्क कहाँ से लाऊँ ?
स्वार्थ के लबादे में लिपटा है इंसान,
जगा सकूँ इंसानियत को वो परवाज़ कहाँ से लाऊँ ?"
बहुत-बहुत आभार आदरणीय प्रकाश जी सुंदर प्रतिक्रिया के साथ हौसला बढ़ाने के लिये।
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बहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप का सर
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 12 नवंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु.
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कविता सृजन की आवाज़ है चिरकाल तक जले,
जवाब देंहटाएंकवि हृदय में वो अगन कैसे लजाऊँ ?
सुंदर, संवेदनशील एवं भावपूर्ण रचना...
जब निश्छल , निष्पक्ष , संवेदना एवं वेदना भरी अनुभूतियाँ कवि - हृदय में अगन बन प्रज्वलित होती हैं , तब वह स्वयं जल कर जनमानस का पथ प्रदर्शन करती हैं। चिरकाल तक ऐसी रचनाओं को लोग याद रखते हैं।
प्रणाम अनीता बहन।
सादर आभार आदरणीय शशि भाई मेरी रचना पर एक विस्तृत टिप्पणी के साथ उत्साहवर्धन करने के लिये।
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वाह! सामयिक मुद्दों पर धारदार कटाक्ष और तल्खियों के साथ प्रभावशाली अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकविता वही उत्तम है जो विस्फोट करती हुई संवेदना को झिझोड़ती हुई मंथन के आयाम विकसित करने में सफल हो।
सिसकती, सिहरती बालाओं के मुख पर मुस्कान लाने के लिये ज़रूरी है उन्हें समायानुकुल सक्षम बनाया जाना।
बहुत सुंदर भावपूर्ण विचारोत्तेजक सृजन।
बधाई एवं शुभकामनाएं।
लिखते रहिए।
सादर आभार आदरणीय सर इतनी ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया के साथ कविता की सार्थकता को स्पष्ट करने के लिये और उत्साहवर्धन करने के लिये।
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समझा पाऊँ शोषण की परिभाषा,
जवाब देंहटाएंऐसा तर्क कहाँ से लाऊँ ?
स्वार्थ के लबादे में लिपटा है इंसान,
जगा सकूँ इंसानियत को वो परवाज़ कहाँ से लाऊँ ?
सशक्त लेखन के आगे निशब्द हूँ । प्रभावशाली अभिव्यक्ति ।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी जी मेरी रचना को परवाज़ देने के लिये और मनोबल बढ़ाने के लिये। आपका स्नेह और साथ यों ही बना रहे।
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वाह!!सखी ,बहुत ही धारदार प्रस्तुति ।आपकी प्रतिभा को नमन🙏🏼
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया शुभा दीदी जी रचना पर ख़ूबसरत प्रतिक्रिया के साथ उत्साह बढ़ाने के लिये।
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असमान व्यवस्थाएँ , अराजक मांनसिकता के था जीवन मूल्यों का क्षरण जब कवि मन को विचलित करता है, तो ऐसी रचना का सृजन स्वतः ही हो जाता है । कवि शब्दों के माध्यम से उस लिख तो सकता है , पर इस भेदभाव को मिटा नहीं सकता। मन के क्षोभ को व्यक्त करती मार्मिक रचना प्रिय अनीता।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई। 💐💐💐💐😇•
असमान व्यवस्थाएँ , अराजक मांनसिकता के साथ
जवाब देंहटाएं, जीवन मूल्यों का क्षरण जब कवि मन को विचलित करता है, तो ऐसी रचना का सृजन स्वतः ही हो जाता है । कवि शब्दों के माध्यम से उस लिख तो सकता है , पर इस भेदभाव को मिटा नहीं सकता। मन के क्षोभ को व्यक्त करती मार्मिक रचना प्रिय अनीता।
हार्दिक बधाई। 💐💐💐💐😇•
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आपका
हटाएंसादर
स्वार्थ के लबादे में लिपटा है इंसान,
जवाब देंहटाएंजगा सकूँ इंसानियत को वो परवाज़ कहाँ से लाऊँ ?
..... प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!
बहुत बहुत शुक्रिया
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