बरसी न बदरिया न मुलाक़ात बहारों से की,
न तितलियों ने ताज पहनाया न फुहार ख़ुशियों ने की,
मिली न सौग़ात सितारों की,
ढलती शाम में वह कोयल-सी गुनगुनायी,
मुद्दतों बाद आज मेरी दहलीज़ मुस्कुरायी |
अनझिप पलकों पर सुकूँन उतर आया,
प्रतीक्षारत थे घर के कोने-कोने,
आज वह उजाला आँगन का लौट आया,
वीरानियों में हलचल सुगबुगायी,
ज़िंदगी में एहसासात उभर आये,
आहटों को तरसती दर्दीली दास्तां,
तमन्नाओं की लता पल्लवन-सी इठलायी,
मुद्दतों बाद आज मेरी दहलीज़ मुस्कुरायी |
रुस्वाइयों में सहमी-सी सिमटती रही,
आज चंचल पवन-सी लहरायी,
मौन में मुखर हुआ सुरम्य संगीत,
वह पागल पुरवाई-सी इतरायी,
खिली चाँदनी धरा पर पूनम का चाँद उतर आया,
चौखट पर हसरतों ने चुपके से थाप लगायी,
मुद्दतों बाद आज मेरी दहलीज़ मुस्कुरायी |
© अनीता सैनी
शब्द शिल्प की सुघड़ता और भावों से कलकल बहते निर्झर ने आरम्भ से अन्त तक बाँधे रखा । आपकी यह रचना मेरी पसन्दीदा रचनाओं में एक है अनीता जी । यूंही लिखती रहें ..बधाई सुन्दर लेखन हेतु ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया मीना दीदी इतनी ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया के लिये। आपकी टिप्पणी ने रचना को नये पंख लगा दिये हैं। आपका साथ मिलता रहे।
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जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका
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रुस्वाइयों में सहमी-सी सिमटती रही,
हटाएंआज चंचल पवन-सी लहरायी,
मौन में मुखर हुआ सुरम्य संगीत,
वह पागल पुरवाई-सी इतरायी,
बिन बोले जब मन बोले तो मन के नाव यूँ ही बोलते है। सुन्दर लेखन हेतु बधाई आदरणीया अनीता जी।
सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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हर्षित कर देने वाली रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम भाव से सराबोर।
सुंदर रचना।
कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 14 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सहृदय आभार आदरणीय पाँच लिंकों के आनंद पर स्थान देने के लिये.
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बच्ची को बाल दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत में उम्दा भावाभिव्यक्ति
बधाई इस रचना के लिए
सादर नमन आदरणीया दीदी जी. आप का ब्लॉग पर आना ही अपने आप में एक सुन्दर समीक्षा है आप के स्नेह की हमेशा आभारी रहूँगी.
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बहुत सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनाएं सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
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शब्दों से टपकती भावभरी खुशियों की तरह आपके जीवन का मौसम सदाबहार हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सस्नेह आभार आदरणीया श्वेता दी सुन्दर समीक्षा हेतु.
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अनझिप पलकों पर सुकूँन उतर आया,
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षारत थे घर के कोने-कोने,
आज वह उजाला आँगन का लौट आया,
वीरानियों में हलचल सुगबुगायी,
ज़िंदगी में एहसासात उभर आये,
आहटों को तरसती दर्दीली दास्तां,
तमन्नाओं की लता पल्लवन-सी इठलायी,
मुद्दतों बाद आज मेरी दहलीज़ मुस्कुरायी
..... सारी पंक्तियां आपके अंदर लबरेज प्रसन्नता के भाव को दर्शा रही है.. कविताएं हमारे व्यक्तित्व का आईना होती है वह स्वत: ही हमारी पोल खोल कर रख देती है... आप हमेशा ऐसे ही खुश रहा कीजिए बहुत ही शानदार कविता लिखी आपने..👌
सस्नेह आभार प्रिय अनु सारगर्भित और रचना का मर्म टटोलती समीक्षा हेतु.
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रुस्वाइयों में सहमी-सी सिमटती रही,
जवाब देंहटाएंआज चंचल पवन-सी लहरायी,
मौन में मुखर हुआ सुरम्य संगीत,
वह पागल पुरवाई-सी इतरायी,
खिली चाँदनी धरा पर पूनम का चाँद उतर आया,
शब्द _शब्द किसी अपने के आने की खुशी से सराबोर है। लंबी प्रतिक्षा से जो खुशी मिलती है, उसका मोल एक विकल मन ही जान सकता है। सुंदर, भावपूर्ण रचम कए लिए शुभकामनायें प्रिय अनीता।
सस्नेह आभार आदरणीया रेणु दी. हमेशा की तरह सुन्दर और सराहना से परे प्रेम से ओत प्रोत समीक्षा हेतु.
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