हृदय पर अनहोना आभास सीये,
यथार्थ के नर्म नाज़ुक तार पर,
दबे पाँव दौड़ती है दावाग्नि-सी,
ख़ुशबू-सी उड़ती है विश्वास पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
चलती है एहसास की थामे अँगुली,
अचल अंबर-सा लिये हाथ में हाथ,
सवार रहती है पलकों के कोरे कोर पर,
सुलगती है सुरम्य ताल लिये विरहनी-सी,
एक पल के जंजाल पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
मर्म की मोहक सौग़ात पर,
बिखरती है समय की अकुलाहट पर,
संग एक पल के सुकूँ के साज़ पर,
अमूर्त मन की मूर्त सजावट पर
चित्त के चैन पर डोलती है
समय-सी यादों की सरसराहट पर,
स्वाति नक्षत्र की बूंदों-सा आवरण गढ़े,
कर्म की बदलती राह पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
एक पल के जंजाल पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
बिखरती है समय की अकुलाहट पर,
संग एक पल के सुकूँ के साज़ पर,
अमूर्त मन की मूर्त सजावट पर
चित्त के चैन पर डोलती है
समय-सी यादों की सरसराहट पर,
स्वाति नक्षत्र की बूंदों-सा आवरण गढ़े,
कर्म की बदलती राह पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
धड़कती है धड़कनों की सीढ़ियों पर,
मन के छज्जे पर रहती है सवार,
मन के छज्जे पर रहती है सवार,
उम्मीद का झरना लिये साँसों पर,
कर्म का कोमल कलेवर लिये,
अपनी ही बिसात पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
© अनीता सैनी
अपनी ही बिसात पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |
© अनीता सैनी
ख़ुशी कैसे भी मिले बस उससे चूकना एक बड़ी भूल होगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
आभारी हूँ दीदी जी आप की रचना का मर्म टटोलती सुन्दर समीक्षा हेतु.
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लाज़वाब रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंसादर नमन आदरणीया उर्मिला दीदी जी अपने अमोल शब्दों से रचना का मान बढ़ाने हेतु.
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कभी कभी शब्द ही नही मिलते.. कुछ कविताएं बहुत अच्छी बन पड़ती है तारीफ के लिए शब्द भी ढूंढो तो वह लगते हैं कम पड़ जाएंगे सुंदर बिंबों का प्रयोग कविता को और भी मनमोहक बना रहा है
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय अनु सुन्दर समीक्षा जो रचना का मर्म टटोलती हुई अपार स्नेह की बौछार कर रही है.
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प्रकृति और मन के कोमल भावों को संजो कर एक खूबसूरत शब्द चित्र.. जिसमें सुघड़ शब्द शिल्प सौन्दर्य देखते ही बनता है ।लाजवाब सृजनात्मकता अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंवाह!सादर आभार आदरणीया मीना दीदी इतनी ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया आपसे पाकर अभिभूत हूँ. आपका मनोबल बढ़ाने और रचना की समीक्षा लिखने का अंदाज़ निराला है. साथ बनाये रखियेगा.
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-11-2019) को "हिस्सा हिन्दुस्तान का, सिंध और पंजाब" (चर्चा अंक- 3522) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।--डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
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मन के भावों और जीवन की विभिन्न स्थितियों में कश्मकश और ऊहापोह से इतर एक स्थिति चिंतन को अकुलाहट से परे ले जाती है जहाँ शांत चित्त अपनी सुरमयी इबारत लिखता है। भावों का तारतम्य पाठक के ज़ेहन तक पहुँचकर मर्म को छू ले तो रचना क़ाबिल-ए-तारीफ़ हो जाती है। अपने तरह की अलग रचना जो अभिव्यक्ति का नवीनतम मार्ग तलाशती हुई अपने अनूठे बिम्ब उकेरती है।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ।
लिखते रहिए।
सादर आभार आदरणीय सर रचना पर सारगर्भित व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया के लिये. रचना का मर्म स्पष्ट करती आपकी टिप्पणी सदैव प्रभावित करती है. आपका स्नेह और आशीर्वाद यों ही मिलता रहे.
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सकारात्मकता की उजास होते ही मन के उद्वैलित भाव धीर नीर, से हृदय तल में अदृश्य अकुलाहट को समा लेते हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अलहदा से भाव अलहदा सी उपमाएं अलहदा काव्य सृजन ।
अद्भुत, अभिनव।
सादर आभार आदरणीया कुसुम दीदी जी रचना पर मनभावन प्रतिक्रिया के साथ साहित्य की बारीकियों की ओर ध्यान आकृष्ट करने और उत्साहवर्धन करने के लिये.
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स्वाति नक्षत्र की बूंदों-सा आवरण गढ़े,
जवाब देंहटाएंकर्म की बदलती राह पर,
आहट हुई थी उजली आस पर |... बहुत खूब लिखा है अनीता जी
सहृदय आभार आदरणीया सुन्दर समीक्षा हेतु.
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बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय सर पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु.
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धड़कती है धड़कनों की सीढ़ियों पर,
जवाब देंहटाएंमन के छज्जे पर रहती है सवार,
उम्मीद का झरना लिये साँसों पर,
कर्म का कोमल कलेवर लिये,
अपनी ही बिसात पर,
आहट हुई थी उजली आस पर
| हर आहट पर आरस के हार पिरोते मन की कोमल भावनाओं का सुंदर शब्दांकन हार्दिक शुभकामनायें प्रिय अनिता
सादर आभार आदरणीया रेणु दीदी जी रचना की सुंदर समीक्षा और उसके मर्म को अधिक सरल करने हेतु. आपका साथ पाकर मेरी हिम्मत लेखन में बढ़ती जाती है. साथ बनाये रखियेगा.
हटाएंसादर.
सकारात्मक सोच के प्रभाव से मन के कोमल अहसासों को बखूबी बांधा है। सुंदर प्यारी सी रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय रचना का मर्म टटोलती सुन्दर समीक्षा हेतु.
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बहुत ही खूबसूरत रचना सखी 👌
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी
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हर नई आहाट कुछ नया ले के आती है ... जीवन जागता है हर आहाट पर ...
जवाब देंहटाएंगहरे एहसास से बुनी रचना है ...
तहे दिल से आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा हेतु.
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बहुत ही सुंदर रचना सखी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
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वाह!!प्रिय सखी ,बहुत ही खूबसूरत भावों से सजी रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीया दीदी जी
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वाह आदरणीया मैम 👌
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति।
सादर नमन 🙏सुप्रभात
बहुत सारा आभार प्रिय आँचल जी आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया सभी को ख़ूब लुभाती है. साथ बनाये रखियेगा.
हटाएंसादर स्नेह
बहुत भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंआप भी न
हटाएंआभार आप का
सादर
कर्म की बदलती राह पर,
जवाब देंहटाएंआहट हुई थी उजली आस पर ... बहुत खूब
सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
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बहुत प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
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