यादें तुम्हारी,
अनगिनत यादें ही यादें,
छिपाती हूँ,
जिन्हें व्यस्तता के अरण्य में,
ख़ामोशी की पतली दीवार में,
ओढ़ाती हूँ,
उनपर भ्रम की झीनी चादर,
मुस्कुराहट सजा शब्दों पर,
अकेलेपन को बातों में,
फिर उलझा रह जाती हूँ |
यकब-यक विरह के,
उसी भयानक भँवर में डूब रह जाती हूँ,
विकल हो उठता है सीपी-सा प्यासा हिय,
फिर तुम्हारी प्रत्याशा में,
क्षुब्ध मन करता है परिमार्जन यादों का,
हाँकते हुए साँसों को,
डग जीवन के भरती हूँ |
परछाई-सी वह तुम्हारी,
पहलू में बैठ,
मुस्कुराहट का राज़ बताती है,
सूनेपन के उन लम्हों में,
वीणा की धुन-सा,
सुरम्य साज़ बजाती है |
बीनती हूँ बिखरे एहसासात की,
गत-पाग-नूपुर-सी वे मणियाँ,
अर्पितकर अरमानों की अमर सौग़ातें,
अतिरिक्त नहीं अन्य राह जीवन में,
पैग़ाम यादों का मुस्कुराते हुये मैं सुनती हूँ |
पैग़ाम यादों का मुस्कुराते हुये मैं सुनती हूँ |
© अनीता सैनी
जवाब देंहटाएंपरछाई-सी वह तुम्हारी,
पहलू में बैठ,
मुस्कुराहट का राज़ बताती है,
सूनेपन के उन लम्हों में,
वीणा की धुन-सा,
सुरम्य साज़ बजाती है |
हम से बढ़कर विरह की पीड़ा को कौन जानता है, बस यादें ही तो सहारा हैं जीवन जीने का | लिखती रहो अच्छा लिख रही हो |
वहा मुकेश जी पति हो तो आप जैसा जो बॉर्डर पर हमारे देश की रक्षा भी करता है और विरह की विषमताओं मे अपनी प्राणप्रिया का उत्साहवर्धन भी कर रहा है ।। नमन है आपके जज्बे को
हटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु. आपका आशीर्वाद यों ही बनाये रखे.
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (29-11-2019 ) को "छत्रप आये पास" (चर्चा अंक 3534) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये जाये।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
-अनीता लागुरी 'अनु'
बहुत बहुत शुक्रिया अनु
हटाएंसादर
लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
परछाई-सी वह तुम्हारी,
जवाब देंहटाएंपहलू में बैठ,
मुस्कुराहट का राज़ बताती है,
सूनेपन के उन लम्हों में,
वीणा की धुन-सा,
सुरम्य साज़ बजाती है |बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌
सस्नेह आभार बहना सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना, अनिता दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार बहना
हटाएंसादर
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय
हटाएंसादर
बेहद खूबसूरत लिखा आपने
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसादर
विरह को ऐसे उद्वेग में लिखना जैसे दिल को निचोड़ के रख दिया , अद्भुत सृजन ।
जवाब देंहटाएंआंख नम तो हुई होगी
कलम भी रोई होगी
जब यादें लिखी होगी।
सादर आभार आदरणीया कुसुम दीदी जी निशब्द हूँ आपकी स्नेह से भरी समीक्षा से. आपका स्नेह और आशीर्वाद यों ही
हटाएंबनाये रखे.
सादर
मन की विकलता को शब्दों से सजीव कर दिया आपने...कुसुम जी सहमत हूँ । बेहतरीन और लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया मीना दीदी जी सुन्दर और सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर