शुक्रवार, नवंबर 1

क्यों नहीं कहती झूठ है यह



क्यों नहीं कहती झूठ है यह,  
तम को मिटाये वह रोशनी हो तुम,  
 पलक के पानी से जलाये  दीप,  
ललाट पर फैली स्वर्णिम आभा हो तुम,  
संघर्ष से कब घबरायी ? 
मेहनत को लाद कंधे पर, 
 जीवन के हर पड़ाव पर मुस्कुरायी तुम |

बाँध देती हो पलभर में प्रलय-सी, 
मायूसी की पोटली को तुम,  
फिर ढलती शाम संग, 
जी उठती हो, 
 नव प्रभात नव किरण के साथ तुम,  
हौसले को रखती हो साथ, 
मंज़िल की तलबगार हो तुम |

नारी हो तुम, 
 नारी-शक्ति ख़ुद में एक हथियार हो तुम, 
हिम्मत संग डग भरो, 
शौर्य से करो फिर मुलाक़ात तुम, 
इंदिरा गाँधी को याद करो, 
नयन से नहीं नीर बहाओ तुम, 
अबला बन हाथ न जोड़ो, 
सबला बन अधिकारों को अपने पहचानो,   
नारी हो तुम नारी को नहीं लजाओ तुम |

बेटी बोझ नहीं कंधे का, 
जनमानस को यह दिखलाओ  तुम,  
 कर्मठ कर्मों का दीप जला, 
परिस्थितियों को पैनीकर राह जीवन में बना,  
हालात का बेतुका बोझ नहीं दिखलाओ तुम,  
कफ़न का उजला रंग शर्माएगा, 
सूर्य-सी आभा घर-आँगन में,  
धरा के दामन में फैलाओ तुम |

© अनीता सैनी 

22 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी।






    जवाब देंहटाएं
  2. जीवन संघर्ष में जब क़दम लड़खड़ाने का दौर जारी हो तो ऐसी संवेदनशील रचना हिम्मत की घुट्टी पिलाती है और संघर्ष को चुनौती देने का ऐलान करती है।

    जीवन में सकारात्मकता जैसा मूल्य जब परे भागने लगे तो मुश्किल राहों का चयन ही नकारात्मकता का इलाज बनने लगता है।
    नारी-शक्ति के संघर्ष की गाथा का मर्म सतत समग्र अनुकूलता का विकास है जो अपना मार्ग तय करने में मील के पत्थर स्थापित करता हुआ ज़माने को चौंधियाता
    हुआ अपनी इबारत लिख रहा है।
    विचारशील रचना।
    बधाई एवं शुभकामनाएं।
    लिखते रहिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर।
      आपकी प्रतिक्रिया से रचना का भाव विस्तार होता है और पाठक के लिये आपके विचार रचना का मर्म को स्पष्ट करनेवाले होते हैं।
      आपका समर्थन और सहयोग यों ही बना रहे।
      सादर आभार

      हटाएं
  3. कठिन और विषमताओं के दौर में भी जीवन नैया कुशलता से पार लगानी वाली जीजिविषा शक्ति नारी का सब से बड़ा गुण है । नारी की इसी महत्ता का उद्घोष करती सशक्त रचना.. अनीता जी बहुत बहुत बधाई सुन्दर सृजन के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आपका आदरणीया मीना दी जी. रचना पर अपनी मर्म स्पष्ट करती राय ज़ाहिर करने के लिये। आपकी प्रतिक्रिया सदैव मेरा मनोबल बढ़ाती है।
      सादर स्नेह

      हटाएं
  4. प्रिय अनिता, आंकड़े बताते हैं संसार का समस्त दायित्व नारी शक्ति के कंधों पर ही ।जननी से लेकर पत्नी और उसके साथ अलग अलग रिश्तों का प्रबंधन नारी से अधिक कोई करने में सक्षम नहीं। पर सब करने के बावजूद दूसरों से ख़ुद को कहीं कमतर समझता हुआ ,आत्महीनता में घिरा रहता है नारीमनं । उसे इसी प्रेरणा कीे जरूरत है , जो तुमने अपनी रचना में शब्दबद्ध कीे है।
    बहुत ही जानंदार रचना, नारी को शौर्य और पराक्रम के प्रेरित करती रचना। रचना नारी शक्ति का
    सुंदर प्रशस्तिगान है। ����

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आपका आदरणीया रेणु दी इतनी अच्छी रचना काविश्लेषण करती प्रतिक्रिया के लिये।
      आपकी टिप्पणी सदैव मेरा उत्साहवर्धन करती है।
      सादर स्नेह

      हटाएं
  5. बेटी ! इंदिरा तो बनना पर आगे चल कर इमरजेंसी मत लगाना और न ही अपने किसी संजय को इतना सर पर चढ़ाना !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर प्रणाम आदरणीय सर।
      आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया गागर में सागर है। आपके स्नेह और आशीर्वाद की सदैव आकांक्षी हूं।

      हटाएं
  6. जीवन के हर पड़ाव पर मुस्कराई हो तुम
    नारी शक्ति खुद में एक हथियार हो तुम
    बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया दी जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सस्नेह

      हटाएं
  7. वाह!!प्रिय सखी ,बहुत ही प्रेरक रचना । नारी को आगे कदम बढाकर अपने आप को शक्तिरूपा सिद्ध करना होगा,स्वयं के महत्व को समझना होगा ,यही प्रेरणा झलक रही है आपकी रचना से ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी रचना का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट करते हुये सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर स्नेह

      हटाएं
  8. नयन से नहीं नीर बहाओ तुम,
    अबला बन हाथ न जोड़ो,
    सबला बन अधिकारों को अपने पहचानो,
    नारी हो तुम नारी को नहीं लजाओ तुम
    वाह!!!
    क्या बात.... बस यही सीख यही सोच यदि नारी अपना ले अपने अधिकारों को पहचान ले भावात्मक मजबूत बने तो कभी अबला न कहलाये
    बहुत ही लाजवाब सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई....।

    जवाब देंहटाएं

  9. जय मां हाटेशवरी.......
    आप सभी को पावन दिवाली की शुभकामनाएं.....

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    03/11/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय पांच लिंकों के आनंद पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

      हटाएं
  10. बेटी बोझ नहीं कंधे का,
    जनमानस को यह दिखलाओ तुम,
    कर्मठ कर्मों का दीप जला,
    परिस्थितियों को पैनीकर राह जीवन में बना,
    हालात का बेतुका बोझ नहीं दिखलाओ तुम,
    कफ़न का उजला रंग शर्माएगा,
    सूर्य-सी आभा घर-आँगन में,
    धरा के दामन में फैलाओ तुम |बेहतरीन अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  11. संसार रूपी रथ का पहिया है नारी... ...नारी बिना ये संसार निरस है फिर भी इस समाज में नारी को अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है

    बहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का आदरणीय
      सादर

      हटाएं
  12. नारी हो तुम,
    नारी-शक्ति ख़ुद में एक हथियार हो तुम,
    हिम्मत संग डग भरो,
    शौर्य से करो फिर मुलाक़ात तुम,

    नारी से नारी का परिचय कराता और उनका आत्मबल बढ़ता बेहतरीन रचना सखी , सादर स्नेह अनीता जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तहे दिल से आभार आप का प्रिय सखी कामिनी जी सुन्दर समीक्षा और रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर समीक्षा हेतु.
      सादर स्नेह

      हटाएं