कुछ हर्षाते
लम्हे
अनायास ही
लम्हे
अनायास ही
मौन में मैंने
धँसाये थे
धँसाये थे
आँखों के
पानी से भिगो
कठोर किया उन्हें
पानी से भिगो
कठोर किया उन्हें
साँसों की
पतली परत में छिपा
ख़ामोश
किया था जिन्हें
फिर भी
पतली परत में छिपा
ख़ामोश
किया था जिन्हें
फिर भी
हार न मानी उन्होंने
उसे
अतीत की
दीवार में चिनवा चुप्पी साधी थी
मैंने
उन लम्हों में
बिखर गये थे कुछ शब्द
उसे
अतीत की
दीवार में चिनवा चुप्पी साधी थी
मैंने
उन लम्हों में
बिखर गये थे कुछ शब्द
कुछ लिपट गये
भविष्य के पैरों से
भविष्य के पैरों से
वक़्त की
उजली कच्ची
धूप सहते हुए
ज़िंदगी
के गलियारे में
उजली कच्ची
धूप सहते हुए
ज़िंदगी
के गलियारे में
अपने
अस्तित्त्व
की नींव गढ़ते
राह में मुखर हो
समय की
दहलीज़ पर
इतिहास के पन्नों में
बरगद
की छाँव बन
भविष्य की अँगुली
थाम
जीवन की
राह में मील के
पत्थर बन
पूनम की साँझ में
मृदुल मौन बनकर वे
पराजय का
दुखड़ा भी न रो पाये
तीक्ष्ण असह वेदना
से लबालब
अनुभूति का जीवन
जीकर
पल प्रणय में भी नहीं खो पाये
तभी उन्हें
मौन में फिर धँसाया था
मैंने |
© अनीता सैनी
अस्तित्त्व
की नींव गढ़ते
राह में मुखर हो
समय की
दहलीज़ पर
इतिहास के पन्नों में
बरगद
की छाँव बन
भविष्य की अँगुली
थाम
जीवन की
राह में मील के
पत्थर बन
पूनम की साँझ में
मृदुल मौन बनकर वे
पराजय का
दुखड़ा भी न रो पाये
तीक्ष्ण असह वेदना
से लबालब
अनुभूति का जीवन
जीकर
पल प्रणय में भी नहीं खो पाये
तभी उन्हें
मौन में फिर धँसाया था
मैंने |
© अनीता सैनी
उन लम्हों में
जवाब देंहटाएंबिखर गये थे कुछ शब्द
कुछ लिपट गये
भविष्य के पैरों से
वक़्त की
उजली कच्ची
धूप सहते हुए
ज़िंदगी
के गलियारे में
अपने
अस्तित्त्व
की नींव गढ़ते
राह में मुखर हो
समय की
दहलीज़ पर
इतिहास के पन्नों में
बरगद
की छाँव बन
भविष्य की अँगुली
थाम
जीवन की
राह में मील के
पत्थर बन
पूनम की साँझ में
मृदुल मौन बनकर वे
पराजय का
दुखड़ा भी न रो पाये... क्या बात है ज़िंदगी समेट ली.....
बहुत सुन्दर
लिखती रहो.
बहुत बहुत आभार आपका
हटाएंसादर
कुछ हद्द तक मौन कर गयी आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंगज़ब की अभिव्यक्ति।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रोहिताश जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
जुबां भले ही खामोश रह गई, पर अंतस मन के भाव शब्दों का रूप धारण करके बाहर आ गए..... कमाल की अभिव्यक्ति..👌
जवाब देंहटाएंआभार प्रिय अनु. रचना पर सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
वाह!
जवाब देंहटाएंमौन से मुखर होने का सफ़र तय करने में अनेक उतार-चढ़ाव नज़र आते हैं। कहीं-कहीं पेचीदा घुमाव नज़र आते हैं जो रचना की ख़ूबसूरती बनते हैं।
मौन भी जीवन का महत्त्वपूर्ण भाव और स्थिति है जो वक़्त आने पर अपनी जटिलता और उपयोगिता को सिद्ध करता है। मौन संशय पैदा कर सकता है तो किसी को संकट में पड़ने से भी बचा लेता है।
उत्कृष्ट सृजन के लिये बधाई एवं शुभकामनाएं।
लिखते रहिए।
सादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना का एक ख़ूबसूरत टिप्पणी के माध्यम से मान बढ़ाने के लिये। आपकी प्रतिक्रिया से रचना का भाव विस्तार होता है। आपका समर्थन और सहयोग बना रहे।
हटाएंसादर।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
११ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता दी पांच लिंकों के आनंद पर मुझे स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (11-11-2019) को "दोनों पक्षों को मिला, उनका अब अधिकार" (चर्चा अंक 3516) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मुझे स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
समय की
जवाब देंहटाएंदहलीज़ पर
इतिहास के पन्नों में
बरगद
की छाँव बन
भविष्य की अँगुली
थाम
जीवन की
राह में मील के
पत्थर बन
पूनम की साँझ में
मृदुल मौन बनकर वे
पराजय का
दुखड़ा भी न रो पाये.... बेहतरीन रचना सखी 👌
तहे दिल से आभार आदरणीय दीदी जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
मौन जब किसी मन के आहत भाव से उत्पन्न होता है तो मन उसका मंथन करता है, सामान्य व्यक्ति उन भावों से कभी आहत होता है कभी अवसाद में उतरता है कभी गहन चिंतक बन ऊपर उठ जाता है ,पर यही मौन जब संवेदनशील कवि मन की अनंत गहराई में उतरता है तो साहित्य को अभिनव सृजन दे देता है आपकी इस बेजोड़ रचना की तरह ।
जवाब देंहटाएंअनुपम।
वाह!आदरणीया कुसुम दीदी जी आपकी इतनी प्यारी प्रतिक्रिया ने मन मोह लिया। बहुत सारा आभार आपका। आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझे यों ही मिलता रहे।
हटाएंसादर
भविष्य की अँगुली
जवाब देंहटाएंथाम
जीवन की
राह में मील के
पत्थर बन
पूनम की साँझ में
मृदुल मौन बनकर वे
पराजय का
दुखड़ा भी न रो पाये
अप्रतिम भावों की अद्भुत अभिव्यक्ति...अति सुन्दर सृजन अनीता जी ।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी जी इतनी ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया के साथ मेरा हौसला बढ़ाने के लिये। आपका साथ बना रहे।
हटाएंसादर
तारीफ के सारे लफ्जों से परे है रह आपकी रचना। लगता है मौन के पाँवो में आपने महावर मल दिए हैं । साधुवाद व बधाई ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना का एक सारगर्भित प्रतिक्रिया के ज़रिये मान बढ़ाने के लिये।
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लाजबाब सृजन ,अनीता जी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीया कामिनी दीदी जी
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बहुत बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर आपका
हटाएंसादर
मौन और एहसासों का भवभीना शब्द संयोजन प्रिय अनीता । 👌👌 मन का छुती रचना। 👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया रेणु दीदी जी सुन्दर समीक्षा से रचना का मर्म स्पष्ट के लिये.
जवाब देंहटाएंसादर