समय के साथ समेटना पड़ता है वह दौर,
जब हम खिलखिलाकर हँसते हैं,
बहलाना होता है उन लम्हों को,
जो उन्मुक्त उड़ान से
अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं,
गठरी में बाँधनी पड़ती है,
उस वक़्त धूप-सी बिखरी कुछ गुनगुनी यादों को,
ताकि मिल सके जीवन के अगले ही पल को संबल |
न चाहते हुए,
धीरे-धीरे ढालना पड़ता है स्वयं को,
अनचाहे आकार में,
बदलना पड़ता है,
अपने कोमल किरदार के कलेवर को,
स्वयं को विश्वास दिलाना पड़ता है,
कि जो वह थी अब वह वो नहीं है,
कितना मुश्किल होता है स्वयं को,
यह विश्वास दिलाना कि शिव और शक्ति वह स्वयं ही है |
तय करना पड़ता है उसे अगले ही पल,
अपना अलग ओझल-सा अस्तित्त्व,
जिसे वह स्वयं भी नहीं पहचानती,
शीतल हवा के झोंके से निकल,
तब्दील होना होता है उसे आँधी में,
उस कोमल किरदार की रक्षा के लिये |
©अनीता सैनी
समय के साथ समेटना पड़ता है वह दौर,
जवाब देंहटाएंजब हम खिलखिलाकर हँसते हैं,
बहलाना होता है उन लम्हों को,
जो उन्मुक्त उड़ान से
अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं,
गठरी में बाँधनी पड़ती है,
उस वक़्त धूप-सी बिखरी कुछ गुनगुनी यादों को,
ताकि मिल सके जीवन के अगले ही पल को संबल |
न चाहते हुए,
धीरे-धीरे ढालना पड़ता है स्वयं को,
अनचाहे आकार में,
बदलना पड़ता है,
अपने कोमल किरदार के कलेवर को,
स्वयं को विश्वास दिलाना पड़ता है,
कि जो वह थी अब वह वो नहीं है,
कितना मुश्किल होता है स्वयं को,
यह विश्वास दिलाना कि शिव और शक्ति वह स्वयं ही है..
न चाहते हुए इसी एहसास के साथ आगे बढ़ना संबल इंसान का नहीं
आत्मा का टटोलना.
कभी कभी एक शब्द संबल बन जाता है जीने का और कभी कभी उन्हीं के एहसास से टूट भी जाता है, समाज और सीमा में बहुत फ़र्क है. आभार आपका आत्मबल बढ़ाने के लिये.
हटाएंसादर
अपने कोमल किरदार के कलेवर को,
जवाब देंहटाएंस्वयं को विश्वास दिलाना पड़ता है,
कि जो वह थी अब वह वो नहीं है,
कितना मुश्किल होता है स्वयं को,
यह विश्वास दिलाना कि शिव और शक्ति वह स्वयं ही है |
बहुत सुंदर और सार्थक रचना सखी
आदरणीया अनुराधा दीदी जी आपने हमेशा मेरा मनोबल बढाया. जिसकी मैं हमेशा आभारी रहूँगी.
हटाएंसादर स्नेह
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-11-2019) को "समय बड़ा बलवान" (चर्चा अंक- 3525) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिये.
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंन चाहते हुए इसी एहसास के साथ आगे बढ़ना संबल इंसान का नहीं
आत्मा का टटोलना.
एक आदर्श स्त्री के हृदय के अंतर्द्वंद और परिस्थितियों को देखते हुये अपने ही घर-परिवार में रह कर किये गये समझौते को आपने अपनी लेखनी से बखूबी शब्द दिये हैं।
प्रणाम।
तहे दिल से आभार आदरणीय शशि भाई.उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.आप योंही मार्गदर्शन करते रहे. भारतीय समाज में संघर्ष ही संबल होते है जीने का और जब हम इनका सामना करते है तब हिम्मत और बढ़ जाती है. मेहनत का सार्थक परिणाम संबल का स्तम्भ बन जाता है.
हटाएंसादर
विषम परिस्थितियों और समय की चुनौतियों से जूझना ही है जीवन। अस्तित्त्व को स्वीकारते हुए जीवट की इबारत लिखते रहना और दौर बदलने की उम्मीद ही जिजीविषा है जो स्वाभिमान और सौम्यता में सामंजस्य के संघर्ष का मार्ग दिखाती है। सुंदर बिम्ब और प्रतीक रचना का सौंदर्य बढ़ा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर रचना का मर्म टटोलती सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
गठरी में बाँधनी पड़ती है,
जवाब देंहटाएंउस वक़्त धूप-सी बिखरी कुछ गुनगुनी यादों को,
ताकि मिल सके जीवन के अगले ही पल को संबल |
ये यादों की गठरी बड़ी अनमोल है...,बहुत सुन्दरता से भावों की सृजना की है आपने...लाजवाब सृजन ।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी रचना पर सुंदर प्रतिक्रिया के साथ मेरा मनोबल बढ़ाते हुए साहित्यिक तत्त्वों की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिये.
हटाएंसादर आभार
निःशब्द रहती हूँ आपकी रचना पढ़कर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया विभा दीदी जी मेरी रचना की इतनी मनमोहक प्रतिक्रिया के लिये. रचना पर चार चाँद लगाती प्रतिक्रिया मेरे लिये अनमोल धरोहर है.
हटाएंआपका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे साथ बना रहे.
सादर.
सुंदर कृति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
वाह आदरणीया दीदी जी।
जवाब देंहटाएंनिःशब्द करती अभिव्यक्ति 🙏
अंतर्मन के द्वंद्व से झूझ्ते हुए बाहरी पारिस्थितयों में स्वंय के अस्तित्व को संभालना ही जीवन की सार्थकता है।
आपको और आपकी पंक्तियों को सादर नमन आदरणीया मैम 🙏
सुप्रभात
बहुत-बहुत आभार प्रिय आँचल जी मेरी रचना पर सारगर्भित प्रतिक्रिया के साथ मर्म को स्पष्ट करती समीक्षा के लिये.
हटाएंसाथ बनाये रखियेगा.
सादर
अति सुंदर पोस्ट Free Song Lyrics latest Bollywood songs lyrics Hindi Me
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
तय करना पड़ता है उसे अगले ही पल,
जवाब देंहटाएंअपना अलग ओझल-सा अस्तित्त्व,
जिसे वह स्वयं भी नहीं पहचानती,
शीतल हवा के झोंके से निकल,
तब्दील होना होता है उसे आँधी में,
उस कोमल किरदार की रक्षा के लिये |
अंतर्द्वंद्व की सटीक दास्ताँ !!
सादर आभार आदरणीया रेणु दीदी जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
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