शनिवार, दिसंबर 28

मैं 2019 का परिवेश हूँ


मैं  2019 का परिवेश हूँ,  

मेरी अति लालसाओं ने,  

मेरा बर्बर स्वभाव  किया, 

परिवर्तित होने की राहें, 

परिवर्तन की चाह में, 

इतिहास के अनसुलझे, 

 प्रश्नों को रुप साकार दिया |


सुख-समृद्धि तलाशता हवाओं में, 

अतीत की यादों में झाँकता,   

बदलाव की ललित लहर लिये, 

 वीराने  हृदय में गीत बन्धुत्त्व के गा रहा | 


नासमझी ने नादानी में  डेरा 

 जनसंख्यावृद्धि ने डाल लिया, 

इच्छाएँ आँगन में बैठ गयीं, 

तभी दर्द ने दामन थाम लिया, 

साँसें पल-पल सिसक और सिहर  रहीं, 

कोढ़ी काया हुई अब मेरी, 

छल-कपट के फोड़े फूटे,  

हारती अर्थव्यवस्था का हाल बुरा,  

कुपोषण का प्रतिघात हुआ,  

मरहम मानवता का तलाशता मन मेरा, 

 देह दीन-सी कराह रही,  

वेदना का करुण मातम, 

दहलीज़ पर  मेरे  छा रहा |


 वर्चस्व की चाह में अंधा बन, 

 आधिपत्य की होड़ लगा रहा, 

प्रतिस्पर्धा में घुटती साँसें, 

छटपटाते मन का बुरा  हाल हुआ, 

विचारों पर चढ़ा चतुर्दिक, 

धूमिल धुंध का अँधा आवरण, 

मन के कोने में

 ठिठुरता भविष्य आवाज़ लगा रहा | 


सुखद एहसास की धूप खिलेगी, 

इसी आस में हर्षा मरहम अपने लगा रहा, 

सघन तिमिर को चीरकर विहान, 

 सपनों का ताज सजा,   

इसी उम्मीद में, मैं क़दम अपने बढ़ा रहा |


©अनीता सैनी 


24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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  2. बहुत शानदार रचना अनीता जी

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  3. सुखद एहसास की धूप खिलेगी, 
    इसी आस में हर्षा मरहम अपने लगा रहा
    अति सुंदर ,सादर स्नेह अनीता जी

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    1. सादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी जी
      सादर

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  4. सुखद एहसास की धूप खिलेगी,
    इसी आस में हर्षा मरहम अपने लगा रहा,
    सघन तिमिर को चीरकर विहान,
    सपनों का ताज सजा,
    इसी उम्मीद में क़दम अपने बढ़ा रहा |

    ना जाने कितनी खुशियां और घाव एक साथ दे जाता है हर साल
    लेकिन खुशियों भरी उम्मीद हमेशा जिन्दा रहती हैं, जो जरुरी है
    बहुत सुन्दर
    नव वर्ष मंगलमय हो

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    1. सादर आभार आदरणीया कविता दीदी जी सुन्दर और सारगर्भित समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. आशा और निराशा कामयाबी और असफलता सब का सम्मिश्रण ही है जिंदगी बस कभी कभी गांव ज्यादा होते हैं
    बहुत सुंदर पुरे साल का विश्लेषण जो हर आमों खास पर सटीक है।
    हमेशा की तरह ही बेहतरीन/बेमिसाल।

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    1. हाँ !आदरणीया कुसुम दीदी हमें सकारात्मक बने रहना चाहिए. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया मेरा हमेशा मनोबल बढ़ाती है. अपना साथ और आशीर्वाद हमेशा बनाये रखे.
      सादर सस्नेह दी.

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  6. वर्ष 2018 के अंतिम दिनों में उम्मीदों और महत्त्वाकांक्षाओं के ज्योतिर्मय पुँज की भाँति हमने 2019 के स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछाये थे.
    वक़्त का अपना निज़ाम है जिसमें अनेक संभावनाओं के विभिन्न आयाम समाहित हैं.
    बहरहाल नव वर्ष को लेकर उत्साहित करती सकारात्मक अभिव्यक्ति.

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  7. सादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना की सटीक व्याख्या करती सुंदर प्रतिक्रिया के लिये. आपकी टिप्पणी लेखन को बेहतर करने में उत्साहित करती है.
    सादर.

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  8. सघन तिमिर को चीरकर विहान,
    सपनों का ताज सजा,
    इसी उम्मीद में, मैं क़दम अपने बढ़ा रहा |
    लाजवाब और बेहतरीन अभिव्यक्ति अनीता जी ।

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    1. सादर आभार आदरणीया मीना दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना सखी सादर

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    1. सस्नेह आभार आदरणीया दीदी जी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.

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  10. बहुत बहुत शानदार

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  11. सपनों का ताज सजा,
    इसी उम्मीद में, मैं क़दम अपने बढ़ा रहा |
    लाजवाब और बेहतरीन

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  12. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-2-22) को एहसास के गुँचे' "(चर्चा अंक 4354)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  13. गहन भाव सृजन।
    यथार्थ सार्थक।

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