दर्द ३९०० जाँबाज़ शहीद जवानों का
सीने में उभर आया
संजीदा साये सिहर उठे होंगे उनके भी
मौजूदा हालात देख देश के
शिथिल शब्दों में हुई होगी
गहमागहमी उनके दरमियाँ भी
ख़ामोशी भी उनकी
संजीदगी से बोल उठी होगी
क्यों किया तकल्लुफ़ चीख़ते
सन्नाटे ने
क्यों सुनाया संदेश सर्द हवाओं ने
यही एहसासात
साँसों में फिर जी उठे होंगे उनके भी
डूब गयी होंगी आयरिस आँखों के
खारे पानी के दर्दीले दरिया में
सिसकियों ने भी न दिया होगा साथ उनका
रुह की रुह भी तड़प-तड़पकर रोयी होगी
कुछ सुलगते सवालात जज़्बात में
बिन बुलाये पाहुन बन पहुँचे होंगे उनके भी
एक बार उन्हें भी
शायद याद अपनों की सतायी होगी
और कुछ नहीं कलेजे के टुकड़ों की
ख़ैरियत की फ़रियाद
उस ख़ुदा से अनजाने में की होगी
जिस देश के लिये हुए क़ुर्बान
उस देश की ऐसी हालत देख
वे अपने बलिदान पर क्षुब्ध हुए होंगे |
© अनीता सैनी
सीने में उभर आया
संजीदा साये सिहर उठे होंगे उनके भी
मौजूदा हालात देख देश के
शिथिल शब्दों में हुई होगी
गहमागहमी उनके दरमियाँ भी
ख़ामोशी भी उनकी
संजीदगी से बोल उठी होगी
क्यों किया तकल्लुफ़ चीख़ते
सन्नाटे ने
क्यों सुनाया संदेश सर्द हवाओं ने
यही एहसासात
साँसों में फिर जी उठे होंगे उनके भी
डूब गयी होंगी आयरिस आँखों के
खारे पानी के दर्दीले दरिया में
सिसकियों ने भी न दिया होगा साथ उनका
रुह की रुह भी तड़प-तड़पकर रोयी होगी
कुछ सुलगते सवालात जज़्बात में
बिन बुलाये पाहुन बन पहुँचे होंगे उनके भी
एक बार उन्हें भी
शायद याद अपनों की सतायी होगी
और कुछ नहीं कलेजे के टुकड़ों की
ख़ैरियत की फ़रियाद
उस ख़ुदा से अनजाने में की होगी
जिस देश के लिये हुए क़ुर्बान
उस देश की ऐसी हालत देख
वे अपने बलिदान पर क्षुब्ध हुए होंगे |
© अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-12-2019) को "मन ही तो है" (चर्चा अंक-3552) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिये.
हटाएंशिथिल शब्दों में हुई होगी
जवाब देंहटाएंगहमागहमी उनके भी
आपस में वे भी बोल उठे होंगे
क्यों किया तकल्लुफ़ चीख़ते सन्नाटे ने
क्यों सुनाया संदेश सर्द हवाओं ने
यही एहसासात
साँसों में सिहर उठे होंगे उनके भी
डूब गयी होंगी आयरिस आँखों के
खारे पानी के दर्दीले दरिया में
सिसकियों ने न दिया होगा साथ उनका
रुह की रुह भी उनकी तड़प-तड़प रोयी होगी
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति अनीता. शब्द नहीं है तारीफ़ के लिये. शब्द शब्द में सैनिक के हृदय का मर्म गुँथा है. दर्द से इतना मत जुड़ों दर्द में डूब जाओगी.
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंअनीता,
तुम्हारी नई कविताओं में पहले की रचित कविताओं की तुलना में अधिक परिपक्वता है और वैचारिक उत्कृष्टता है.
नफ़रत की सियासत हम को ले डूबेगी.
तुम्हारे जैसा मानवतावादी दृष्टिकोण ही भारत का और समस्त मानव-जाति का कल्याण कर सकता है.
सादर आभार आदरणीय सर सुन्दर और सारगर्भित समीक्षा हेतु आप का आशीर्वाद यों ही बना रहे.
हटाएंसादर
खारे पानी के दर्दीले दरिया में
जवाब देंहटाएंसिसकियों ने भी न दिया होगा साथ उनका
रुह की रुह भी तड़प-तड़पकर रोयी होगी
सीमा प्रहरियों का जीवन इसलिए तो अमर होता है ...वे अपनी संवेदनाओं को राष्ट्र हित में हँसते - हँसते कुर्बान कर देते हैं । सैनिकों के दर्द को महसूस करती हृदयस्पर्शी रचना ।
सादर आभार आदरणीया मीना दी जी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
सार्थक चिंतन ,सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया कामिनी दी जी
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर
अत्यंत ही संजीदा रचना। आपकी इसी संजीदगी के कायल हैं हम। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
डूब गयी होंगी आयरिस आँखों के
जवाब देंहटाएंखारे पानी के दर्दीले दरिया में
सिसकियों ने भी न दिया होगा साथ उनका
रुह की रुह भी तड़प-तड़पकर रोयी होगी बेहद हृदयस्पर्शी रचना बहना।
सस्नेह आभार आदरणीया दीदी रचना का मर्म स्पष्ट करती सार्थक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह