खेत की मुँडेर पर बैठ शून्य में विलीन हो एक टक,
उसाँस में उफ़नते दर्द को वे घूरते बहुत हैं,
समस्याओं को चाहते हैं क्षण में निगलना,
सुख-समृद्धि को धरा पर वे टटोलते बहुत हैं |
अतिवृष्टि,ओलावृष्टि कहूँ पाले की पतली परत हो,
आँखों में लिये लवणता
जिव्हा से वे हालात को कोसते बहुत हैं,
धरती-पुत्र,खेतिहर कहूँ या खलिहान के सौदागर,
विधाता को प्रति पल पुकारते वे अभावों से जूझते बहुत हैं |
मन नहीं है मलिन न दिमाग़ में कोई सीलन,
ख़ुद से ख़ुद की बातें करते ख़ुद्दारी को वे सजाते बहुत हैं,
शान की पगड़ी पहनते हैं शीश पर, सूर्य का तेज़ ही है वे,
गिरगिट नेताओं से न बदलते रंग इसी रंग को पहचानते बहुत हैं |
अन्नदाता की अनहोनी ही है छिपाता पेट की भूख है,
बुद्धि के ख़ज़ांची उसी भूख से कमाते बहुत हैं,
दम तोड़ता शिक्षा का स्तर तलहटी को छूता है,
फिर भी डार्विन के स्वस्थतम उत्तरजीविता के सिद्धांत को
ज़माना आज आजमाता बहुत है |
©अनीता सैनी
वाह क्या बात है बहुत सुन्दर रचना अनीता जी |
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आपका
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-12-2019) को "अब नहीं चलेंगी कुटिल चाल" (चर्चा अंक-3559) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर प्रणाम
सुंदर सृजन. भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को सादर नमन. पुण्य स्मरण.
जवाब देंहटाएंमेरे गृह ज़िले इटावा से जुड़ा चौधरी साहब का एक प्रसंग बहुत लोकप्रिय है. एक बार जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो इटावा ज़िले के बकेबर थाने में किसान बनकर गधा खोने की रपट लिखाने पहुँचे. थाने में उनसे रिश्वत माँगी गयी उस समय उन्होंने माँगी गयी रकम दे दी. जब उनसे काग़ज़ पर अँगूठा लगाने को कहा गया तब उन्होंने क़लम से अपने हस्ताक्षर करते हुए लिखा-
"चौधरी चरण सिंह
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार"
इतना पढ़ते ही पुलिसकर्मी बेहोश होकर गिर पड़ा.
सादर आभार आदरणीय सर रचना में भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के जीवन से जुड़ा एक मज़ेदार और रोचक प्रसंग जोड़ने के लिये. किसानों के मसीहा चौधरी साहब हमेशा याद किये जाते रहेंगे.
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २४ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
तहे दिल से आभार आदरणीया श्वेता दी पांच लिंकों पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर सस्नेह
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंसादर
धरती-पुत्र,खेतिहर कहूँ या खलिहान के सौदागर,
जवाब देंहटाएंविधाता को प्रति पल पुकारते वे अभावों से जूझते बहुत हैं |
सही कहा एकदम सटीक, सार्थक लाजवाब सृजन
वाह!!!
सादर आभार आदरणीया दीदी जी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर
अतिवृष्टि,ओलावृष्टि कहूँ पाले की पतली परत हो,
जवाब देंहटाएंआँखों में लिये लवणता
जिव्हा से वे हालात को कोसते बहुत हैं,
धरती-पुत्र,खेतिहर कहूँ या खलिहान के सौदागर,
विधाता को प्रति पल पुकारते वे अभावों से जूझते बहुत हैं |
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति सखी
सादर आभार आदरणीया दीदी
हटाएंधरती-पुत्र,खेतिहर कहूँ या खलिहान के सौदागर,
जवाब देंहटाएंविधाता को प्रति पल पुकारते वे अभावों से जूझते बहुत हैं |
...एकदम सटीक
सादर आभार आदरणीय भास्कर भाई सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसादर